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सबूत के तौर पर अदालत में पेश हुए 'भगवान', जज ने नमन कर सुनाया फैसला

सबूत के तौर पर अदालत में पेश हुए 'भगवान', जज ने नमन कर सुनाया फैसला

लेखन अंजली
Jan 09, 2020
09:20 pm

क्या है खबर?

अदालतों में चोरी के कई मामलों पर सुनवाई होती रहती है, जिसके चलते जज सबूत के तौर पर कई तरह के साक्ष्य पेश करने का आदेश देते हैं। मगर, आपने साक्ष्य के लिए किसी भगवान को अदालत में पेश होते हुए नहीं देखा होगा। हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के 11 साल पुराने चोरी के मामले की, जिसके लिए जज ने कुंज बिहारी जू सरकार को साक्ष्य के लिए अदालत में पेश करने का आदेश दिया था।

मामला

क्या है मामला?

मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में 11 साल पहले बिहारी जी के मंदिर से मूर्तियां चोरी होने का मामला सामने आया था, जिसके चलते बुधवार को भगवान अदालत में पेश हुए। दरअसल, चोरों को मूर्तियों के साथ पकड़े जाने के मामले में भगवान को साक्ष्य के लिए पेश किया गया था। भक्तों के साथ जब भगवान अदालत में पेश हुए तो जज ने उन्हें नमन कर आदेश सुनाया और भगवान की प्रतिमाओं को मंदिर में पुर्नस्थापित करने का आदेश दिया।

जानकारी

वर्षों से विराजमान मूर्तियों की गई थी चोरी

जानकारी के मुताबिक, टीकमगढ़ जिले के बिहारी जी के मंदिर में राधा-कृष्ण की मूर्तियां वर्षों से विराजमान थी, लेकिन 14 जनवरी 2009 में इस मंदिर की मूर्तियां चोरी हो गई थी। घटना के सात दिन बाद पुलिस ने मामले का खुलासा किया कि उनकी टीम ने चार चोरों को मूर्तियों के साथ पकड़ा है। इस मामले में चार लोग गिरफ्तार किए गए। साथ ही आगे की कार्रवाई के लिए उस समय उन्हें एडीजे अदालत में पेश किया गया था।

सजा

अदालत ने 11 साल बाद सुनाई आरोपियों को सजा

उस समय आरोपियों ने एडीजे अदालत में कहा था कि बरामद मूर्तियां उन लोगों ने नहीं चुराई हैं। इसके चलते घटना के 11 साल बाद निवाड़ी अदालत ने मंदिर के पुजारी को नोटिस जारी कर बिहारी जू सरकार को साक्ष्य के लिए 8 जनवरी (बुधवार) को पेशी पर बुलाया था। फिलहाल इस मामले के आरोपियों को दस साल बाद तीन-तीन साल की सजा मिल चुकी है।

बयान

अदालत में बिहारी के दर्शन करने के लिए लोगों की उमड़ी भीड़

मीडिया को मंदिर के पुजारी ने बताया कि उन्हें निवाड़ी अदालत का नोटिस मिला था कि भगवान की मूर्तियों की पहचान कराने के लिए मूर्ति सहित न्यायालय में उपस्थित हों। इसके बाद उन्होंने बुधवार को भगवान का विशेष श्रृंगार कर आरती उतारी और श्रद्धालुओं के साथ भगवान को पालकी में बैठाकर आतिशबाजी के साथ नगर भ्रमण करते हुए निवाड़ी अदालत पहुंच गए। लोगों को जब इस बात की भनक लगी तो उन्होंने दर्शन के लिए हुजूम लगा लिया।