जम्मूू-कश्मीर: उमर और महबूबा के बाद अब शाह फैसल पर भी लगा जन सुरक्षा कानून
फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के बाद अब शाह फैसल पर भी जन सुरक्षा कानून (PSA) लगाया गया है। भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के टॉपर रहे फैसल को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद नजरबंद किया गया था। अब उन पर PSA लगाया गया है, जिसके तहत किसी व्यक्ति को बिना ट्रायल तीन महीनों तक हिरासत में रखा जा सकता है। हिरासत के समय को बार-बार बढ़ाया भी जा सकता है।
अभी तक इन नेताओं पर लग चुका है PSA
फारुक, उमर, महबूबा और फैसल के अलावा अली मोहम्मद सागर, नईम अख्तर, सरताज मदानी और हिदाद लोन को इस कानून के तहत हिरासत में रखा गया है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन के इस फैसले पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
अगस्त से हिरासत में बंद हैं फैसल
IAS से इस्तीफा देने के बाद फैसल ने पिछले साल राजनीति में उतरने की घोषणा की थी। अगस्त, 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का ऐलान किया था। इस फैसले के लगभग 10 दिन बाद फैसल को विदेश जाते समय दिल्ली एयरपोर्ट पर रोक लिया गया था। वहां से उन्हें श्रीनगर भेजा गया, जहां उन्हें हिरासत में ले लिया गया। पिछले छह महीनों से वो हिरासत में बंद हैं।
ऐहतियातन हिरासत खत्म होने से पहले फैसल पर लगा PSA
सिविल सर्विस परीक्षा में टॉप करने वाले फैसल जम्मू-कश्मीर के पहले निवासी हैं। उन्होंने 2009 में देशभर में पहला स्थान हासिल किया था। वो जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के फैसले के मुखर आलोचक रहे हैं। फैसल को 14 अगस्त, 2019 से CrPC की धारा 107 के तहत श्रीनगर के MLA हॉस्टल में हिरासत में रखा गया है। उनकी ऐहतियातन हिरासत समाप्त होने से पहले ही उन पर PSA लगा दिया गया है।
क्या है PSA?
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला की सरकार लकड़ी की तस्करी रोकने और तस्करों पर लगाम लगाने के लिए जन सुरक्षा कानून लेकर आई थी। इसे 8 अप्रैल, 1978 को वहां के राज्यपाल से मंजूरी मिली थी। इसके तहत सरकार 18 साल से अधिक उम्र के किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए हिरासत में रख सकती है। एक डिविजनल कमिश्नर या जिलाधिकारी PSA लगाए जाने का आदेश जारी कर सकता है।
PSA के तहत दो साल तक बढ़ाई जा सकती है हिरासत
PSA के तहत यदि राज्य सरकार को लगे कि किसी व्यक्ति के कृत्य से सुरक्षा को खतरा है तो उसे दो सालों तक और किसी के कृत्य से कानून-व्यवस्था बनाए रखने में बाधा उत्पन्न होती हो तो एक साल तक हिरासत में रख सकते हैं।
उमर अब्दुल्ला की हिरासत पर जम्मू-कश्मीर को नोटिस
उमर अब्दल्ला को PSA के तहत हिरासत में रखने को उनकी बहन सारा पायलट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सारा ने कहा था कि उमर पर PSA लगाया जाना 'असंवैधानिक' है। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 2 मार्च को होगी। पुलिस का आरोप है उनका जनता पर खासा प्रभाव है। वे किसी भी कारण के लिए जनता की ऊर्जा का इस्तेमाल कर सकते हैं।