केजरीवाल ने फिर उठाया प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री का मुद्दा, एक दिन पहले लगा था जुर्माना
क्या है खबर?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री पर सवाल उठाया।
उन्होंने कहा कि गुजरात हाई कोर्ट के फैसले ने प्रधानमंत्री मोदी की शिक्षा को लेकर संशय बढ़ा दिया है। केजरीवाल ने आगे कहा कि 21वीं सदी के भारत का प्रधानमंत्री पढ़ा-लिखा होना चाहिए।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री और स्नातकोत्तर डिग्री के प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है।
बयान
देश का प्रधानमंत्री पढ़ा-लिखा होना चाहिए- केजरीवाल
केजरीवाल ने कहा, "कल गुजरात हाई कोर्ट का आदेश आया था कि प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री की जानकारी नहीं ली जा सकती है। प्रधानमंत्री मोदी अपनी डिग्री क्यों नहीं दिखा रहे हैं? उनको या तो अहंकार है या उनकी डिग्री फर्जी है।"
केजरीवाल ने आगे कहा, "कम पढ़ा-लिखा होना गुनाह नहीं है। आज युवा रोजगार चाहता है, महंगाई से छुटकारा चाहता है तो ऐसे में देश का प्रधानमंत्री पढ़ा-लिखा होना चाहिए।"
बयान
केजरीवाल बोले- प्रधानमंत्री के बयान देश को करते हैं विचलित
केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, "प्रधानमंत्री मोदी के हर दूसरे-तीसरे दिन बयान आते हैं जो देश को विचलित कर देते हैं। प्रधानमंत्री ने नाले की गैस से चाय बनाना, बारिश में रडार से बच जाना, ग्लोबल वार्मिंग जैसी कोई चीज नहीं होती जैसे कई बयान दिए। उन्होंने कनाडा में फनिट का एक फॉर्मूला बताने की कोशिश भी की थी। उनके बयानों को सुनकर सेना, वैज्ञानिकों और बच्चों को अटपटा लगा।"
जुर्माना
कोर्ट ने केजरीवाल पर लगाया था 25,000 रुपये का जुर्माना
बता दें कि गुजरात हाई कोर्ट ने केजरीवाल पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया था। हाई कोर्ट ने केजरीवाल को जुर्माने की धनराशि गुजरात राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास जमा कराने के लिए भी कहा था।
बता दें कि केजरीवाल ने सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत PMO, गुजरात विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रधानमंत्री मोदी की स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री के प्रमाण-पत्र की जानकारी मांगी थी।
मामला
क्या है पूरा मामला?
केजरीवाल ने RTI का जवाब न मिलने पर केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) में अपील दायर की थी, जिसके बाद CIC ने दोनों विश्वविद्यालयों और PMO को सूचना में मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने का आदेश दिया था।
इसी आदेश के खिलाफ गुजरात विश्वविद्यालय ने गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
इसके बाद कोर्ट ने CIC के 2016 के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें PMO को डिग्री का ब्योरा प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था।