नारदा स्टिंग केस: तृणमूल नेताओं को हाई कोर्ट से राहत नहीं, नजरबंद रखने का आदेश
कलकत्ता हाई कोर्ट ने नारदा स्टिंग टेप मामले में तृणमूल कांग्रेस के चार नेताओं को घर में नजरबंद रखने के आदेश दिए हैं। दो जजों वाली बेंच में अंतरिम जमानत पर एक राय न बनने के कारण यह मामला अब बड़ी बेंच को सौंपा जाएगा। बता दें कि केंद्रीय जांच एजेंसी CBI ने तृणमूल कांग्रेस सरकार में मंत्री फिरहाद हाकिम, सुब्रता मुखर्जी, पूर्व मंत्री मदन मित्रा और पूर्व मेयर सोवन चटर्जी को गिरफ्तार किया था।
क्या है नारदा स्टिंग टेप मामला?
बता दें कि नारदा स्टिंग टेप पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनावों से पहले सामने आया था। यह स्टिंग ऑपरेशन 2014 में किया गया था, जिसमें कथित तौर पर तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेताओं को रिश्वत लेते दिखाया गया था। स्टिंग में फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और सोवन चटर्जी का नाम सामने आया था। ये चारों 2014 में ममता बनर्जी सरकार में मंत्री थे। नारद न्यूज पोर्टल ने यह स्टिंग ऑपरेशन किया था।
बड़ी बेंच देगी अंतरिम जमानत पर फैसला
इस मामले में गुरुवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन किन्हीं कारणों से यह टल गई थी। शुक्रवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की बेंच ने मामले की सुनवाई की। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, न्यायमूर्ति बनर्जी इन नेताओं को अंतरिम जमानत देने पर सहमत थे, लेकिन न्यायमूर्ति बिंदल ने इन्हें घर में नजरबंद रखने का फैसला दिया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने कहा कि अंतरिम जमानत के लिए मामला बड़ी बेंच के पास जाएगा।
नेताओं को करना होगा CBI का सहयोग
कोर्ट ने यह भी कहा है कि जब तक अंतरिम जमानत को लेकर बड़ी बेंच का फैसला नहीं आ जाता, तब तक ये नेता नजरबंद रहेंगे और जांच में CBI का सहयोग करेंगे। यानी राहत के लिए इन नेताओं को अभी इंतजार करना पड़ेगा।
आज इन याचिकाओं पर हुई थी सुनवाई
CBI ने याचिका दायर कर जजों से यह मामला CBI की विशेष अदालत से हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने और मामले की दोबारा सुनवाई करने की मांग की थी। दूसरी तरफ चारों नेताओं ने CBI अदालत की तरफ से मिली जमानत पर लगाई गई रोक को हटाने की मांग की थी। दरअसल, 17 मई को गिरफ्तारी के बाद CBI अदालत ने कुछ घंटों बाद चारों को जमानत दे दी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी।
ममता ने बताई थी बदले की भावना से की गई कार्रवाई
CBI की इस कार्रवाई ने बंगाल की राजनीति में उफान ला दिया था। तृणमूल कांग्रेस ने इसका कड़ा विरोध किया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि CBI ने यह कार्रवाई राजनीतिक बदला लेने के लिए की है। इसके बाद ममता सांसद कल्याण बनर्जी और सांतनु सेन के साथ CBI कार्यालय पहुंच गई थी। ममता अपने समर्थकों के साथ CBI कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गई और नेताओं की रिहाई की मांग की।
CBI टीम के खिलाफ शिकायत
तृणमूल मंत्रियों और नेताओं को गिरफ्तार करने वाली CBI टीम के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है। ममता सरकार में मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि इस कार्रवाई से पहले CBI ने विधानसभा स्पीकर से अनुमति नहीं ली थी। इसलिए ये गिरफ्तारी अवैध हैं।