बंगाल में चुनाव बाद हिंसा: CBI ने शुरू की जांच, अब तक नौ FIR दर्ज
कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद CBI ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों के बाद हुई हिंसा की जांच शुरू कर दी है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने अभी तक इस सिलसिले में नौ FIR दर्ज की है। बंगाल पुलिस की तरफ से जानकारी मिलने के बाद और भी FIR दर्ज की जा सकती हैं। CBI ने जो मामले दर्ज किए हैं, उनमें अभिजीत सरकार की कथित हत्या का मामला भी शामिल है।
क्या था मामला?
2 मई को आए विधानसभा चुनावों के नतीजों में तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने 213 सीटों पर कब्जा जमाते हुए फिर से सत्ता में वापसी की थी। परिणामों के बाद राज्य के कई जिलों में हिंसा भड़क गई थी। हुबली में भाजपा के कार्यालय को आग के हवाले कर दिया गया था। इतना ही नहीं, कई जगहों पर भाजपा और TMC कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़पें हुई थीं। इन घटनाओं में कई लोगों की मौत होने की सूचनाएं सामने आई थीं।
CBI की चार टीमें करेंगी जांच
इंडिया टुडे ने बताया है कि CBI ने हिंसा से प्रभावित लोगों के बयान दर्ज करने शुरू कर दिए हैं। जांच एजेंसी के अधिकारी फॉरेंसिक विशेषज्ञों के साथ आज घटनास्थलों का दौरा भी कर सकते हैं। CBI ने चुनाव बाद हुई हिंसा की जांच के लिए चार विशेष टीमों को बंगाल भेजा है। इनका नेतृत्व संयुक्त निदेशक स्तर के अधिकारी कर रहे हैं और चारों टीमों में कुल 25 अधिकारी शामिल हैं।
हाई कोर्ट ने बीते सप्ताह दिया था जांच का आदेश
बीते गुरुवार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि हत्या और रेप के मामलों की जांच CBI को सौंपी जानी चाहिए। CBI को अगले छह हफ्तों में इसकी जांच कर रिपोर्ट कोर्ट में जमा करानी होगी। रेप और हत्या के अलावा दूसरे मामलों की जांच के लिए कोर्ट ने टेलीकम्यूनिकेशन DG सुमन बाला साहू, कोलकाता पुलिस कमिश्नर सौमेन मित्रा और रणवीर कुमार की विशेष जांच टीम (SIT) गठित की थी। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज इसकी निगरानी करेंगे।
मानवाधिकार आयोग ने बनर्जी सरकार को ठहराया था दोषी
मानवाधिकार आयोग की जांच समिति ने हाई कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में ममता बनर्जी सरकार को दोषी ठहराया था। जांच के दौरान आयोग की टीम पर जाधवपुर में हमला भी हुआ था। आयोग ने रिपोर्ट में रेप और हत्या के मामलों की जांच CBI से और अन्य मामलों की जांच SIT से कराने की सिफारिश की थी। आयोग ने यह भी कहा था कि इन मामलों की सुनवाई पश्चिम बंगाल से बाहर होनी चाहिए।
3 अगस्त को कोर्ट ने सुरक्षित रखा था फैसला
कलकत्ता हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की पांच सदस्यीय पीठ ने 3 अगस्त को मानवाधिकार आयोग की सात सदस्यीय समिति की रिपोर्ट के आधार पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद बीते गुरुवार को सुनाए गए फैसले में कोर्ट ने अस्वाभाविक मृत्यु, हत्या और रेप जैसे गंभीर मामलों की जांच CBI से कराने और सामान्य हिंसा के मामलों की जांच SIT को सौंपने का आदेश दिया था।