
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के सामने दोहरी चुनौती, राजपूतों के बहिष्कार के बीच अंतर्कलह
क्या है खबर?
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अंतर्कलह का सामना करना पड़ रहा है और पार्टी के राजपूत नेता उससे नाराज बताए जा रहे हैं।
इसे लेकर भाजपा के 2 बड़े नेता, संगीत सोम (राजपूत) और संजीव बालियान (जाट), आमने-सामने हैं और एक-दूसरे के खिलाफ सार्वजनिक बयान दे चुके हैं।
अगर यह अंतर्कलह जारी रही और राजपूत भाजपा से नाराज रहे तो पार्टी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़ा नुकसान हो सकता है।
आमना-सामना
संजीव बालियान को करना पड़ रहा राजपूतों के विरोध का सामना
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, मुजफ्फरनगर से उम्मीदवार संजीव बालियान को उन्हें नजरअंदाज करने और जाटों का तुष्टीकरण करने के लिए राजपूतों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
सोम राजपूतों के 24 गांवों (सोम चौबीसी) में घुसते समय उनके भारी विरोध का सामना करना पड़ा और उसके काफिले पर पत्थरबाजी भी हुई।
संगीत सोम का इन गांवों से सीधा संबंध है और बालियान ने उन पर अप्रत्यक्ष तरीके से इसमें शामिल होने का आरोप लगाया।
जानकारी
बालियान और सोम में बयानबाजी
बालियान ने सोम , "पार्टी देख रही है कि कौन क्या कह रहा है। वो चुनाव के बाद फैसला लेगी।" इसका जवाब देते हुए सोम ने कहा, "संजीव बालियान कौन हैं? मैं नहीं जानता वो कौन हैं।" उन्होंने बालियान को जातिवादी भी बताया।
असर
राजपूतों की नाराजगी से बालियान को हो सकता है नुकसान
अभी मुजफ्फरनगर में स्थिति यह है कि राजपूतों के गांव 5 साल तक उनकी अनदेखी करने के लिए बालियान का बहिष्कार कर रहे हैं।
मुजफ्फरनगर सीट पर लगभग 8 प्रतिशत जाट हैं, जो जाटों के बराबर है और अगर यह बहिष्कार जारी रहता है तो बालियान को बड़ा नुकसान हो सकता है और वे सीट हार भी सकते हैं।
2019 लोकसभा चुनाव में बालियान यहां से मात्र 6,500 वोटों से जीते थे।
कारण
भाजपा से नाराज क्यों चल रहे हैं राजपूत?
राजपूतों के भाजपा से नाराज होने के कई कारण हैं।
केंद्रीय मंत्री और गुजरात के राजकोट से उम्मीदवार पुरुषोत्तम रूपाला का राजपूतों के खिलाफ बयान इसका अहम कारण है। उन्होंने कहा था कि जब अंग्रेज भारतीयों पर अत्याचार कर रहे थे, तब राजपूत राजा उनके सामने झुक गए और अपनी बेटियों तक की उनके साथ शादी कर दी।
इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजपूत नेताओं के टिकट कटना भी इसका एक अहम कारण है।
टिकट
टिकट बंटवारे से क्या नाराजगी?
भाजपा ने इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में केवल एक राजपूत को टिकट दिया है।
यही नहीं उसने गाजियाबाद से पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह (राजपूत) का भी टिकट काट दिया, जो पिछली बार बहुत बड़े अंतर से जीते थे। उनकी जगह एके गर्ग (बनिया) को टिकट दिया गया है। राजपूत इससे खुश नहीं हैं।
इसके अलावा राजपूतों ने भाजपा पर उनकी जगह जाटों और गुर्जरों को तरजीह देने और उनके उम्मीदवार उतारने का आरोप भी लगाया है।
भूमिका
भाजपा को कितना बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं राजपूत?
अगर भाजपा के प्रति राजपूतों की यह नाराजगी जारी रहती है तो लोकसभा चुनाव में उसे बड़ा नुकसान हो सकता है।
'जाट लैंड' कहे जाने वाली पश्चिमी उत्तर प्रदेश की लगभग 10 प्रतिशत आबादी राजपूत है और कई सीटों पर वे बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं।
गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, सहारनपुर, मेरठ, कैराना, मुजफ्फरनगर, बागपत, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, मुरादाबाद, संभल, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, आगरा और फतेहपुर सीकरी ऐसी सीटें हैं, जहां राजपूत नतीजे प्रभावित कर सकते हैं।