कुख्यात डाकू वीरप्पन की बेटी हुई भाजपा में शामिल
क्या है खबर?
कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन की बेटी विद्या रानी शनिवार को भाजपा में शामिल हुईं।
तमिलनाडु के कृष्णगिरि जिले में उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव मुरलीधर राव और पूर्व केंद्रीय मंत्री पॉन राधाकृष्णन की उपस्थिति में भाजपा का दामन थामा।
विद्या रानी पेशे से वकील हैं। उनके अलावा अन्य राजनीतिक पार्टियों के लगभग 1,000 सदस्य भी भाजपा में शामिल हुए।
इस दौरान विद्या ने गरीबों के लिए काम करने की बात कही।
बयान
"पिता का रास्ता गलत था, लेकिन हमेशा गरीबों के बारे में सोचा"
भाजपा में शामिल होने के कार्यक्रम में बोलते हुए विद्या रानी ने कहा, "मैं गरीबों और वंचितों के लिए कार्य करना चाहती हूं चाहें उनका धर्म और जाति कुछ भी हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाएं लोगों के लिए हैं और मैं उन्हें लोगों तक ले जाना चाहती हूं।"
इस दौरान अपने पिता के बारे में बोलते हुए विद्या ने कहा कि उनके पिता का रास्ता जरूर गलत था, लेकिन उन्होंने हमेशा गरीबों के बारे में ही सोचा।
दहशत
तीन राज्यों के जंगलों में दशकों रही थी वीरप्पन की दहशत
कर्नाटक में जन्मे वीरप्पन की दहशत कई दशकों तक तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के जंगलों में रही थी।
वीरप्पन चंदन और हाथी के दांत की तस्करी और फिरौती के लिए राजनेताओं और अभिनेताओं के अपहरण के लिए कुख्यात था। वो पुलिस को छकाने में माहिर था।
वीरप्पन के बारे में कहा जाता है कि वो माथे के बीचों-बीच गोली मारकर हाथी को मार देता था और उसने 17 साल की उम्र में पहली बार हाथी का शिकार किया था।
क्रूरता
वन अधिकारी का सिर काट खेली थी फुटबॉल
वीरप्पन के बारे में कई किस्से चर्चित हैं जिनमें से एक वन अधिकारी पी श्रीनिवास से जुड़ा हुआ है।
वीरप्पन का भाई उसके आत्मसमर्पण की बात कहकर श्रीनिवास को जंगल लेकर आया था और वहां वीरप्पन ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी।
हत्या करने के बाद उसने श्रीनिवास का सिरा काटा और इससे अपने साथियों के साथ फुटबॉल खेली।
श्रीनिवास एक बार उसे गिरफ्तार कर चुके थे, लेकिन वो उनकी गिरफ्त से फरार होने में कामयाब रहा था।
जानकारी
मशहूर कन्नड़ अभिनेता का अपहरण कर 100 दिन अपनी गिरफ्त में रखा
वीरप्पन ने जिन लोगों का अपहरण किया उन्होंने सबसे चर्चित नाम मशहूर कन्नड़ अभिनेता राजकुमार का था। 2000 के इस मामले में राजकुमार 100 दिन तक उसके चंगुल में रहे थे। इस दौरान वीरप्पन ने कर्नाटक और तमिलनाडु सरकार को घुटने पर ला दिया था।
निर्दयी
खुद को बचाने के लिए दी बेटी की कुर्बानी
यही नहीं वीरप्पन खुद को बचाने के लिए अपनी एक बेटी को भी कुर्बान कर चुका है।
दरअसल, 1993 में वीरप्पन के एक लड़की हुई थी जिसके रोने की आवाज दूर तक जाने के कारण वो एक बार मुसीबत में फंस गया था।
दोबारा ऐसा हो इससे बचने के लिए उसने अपनी बेटी को मारकर दफना दिया था।
18 अक्टूबर, 2004 को तमिलनाडु की एक स्पेशल टीम के एनकाउंटर में वीरप्पन को मार गिराया गया था।