लोकसभा में बोलीं केंद्रीय मंत्री भौमिक- पश्चिम बंगाल के मंत्री फोन नहीं उठाते
केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक ने मंगलवार को संसद में कहा कि 10 बार कॉल करने के बाद भी पश्चिम बंगाल के मंत्री फोन नहीं उठाते हैं। राज्य में सरकारी योजनाओं को लागू कराने से संबंधित एक सवाल के जवाब में भौमिक ने यह बात कही। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी उनके सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में फोन न उठाने की एक आदत बन गई है।
किस सवाल के जवाब में भौमिक ने कही यह बात?
पश्चिम बंगाल से भाजपा के सांसद एसएस अहुलावालिया ने राज्य में PM-DAKSH योजना के अनुपालन से जुड़ा सवाल पूछते हुए मंत्री से जानना चाहा कि क्या वो चिंताओं को दूर करने के लिए अधिकारियों से बात करेंगी? इसके जवाब में भौमिक ने कहा, "अगर हम पश्चिम बंगाल के मंत्रियों को 10 बार भी कॉल करें तो वो फोन नहीं उठाते हैं। उनके साथ रहने वाले लोग उनके नंबर देने से भी डरते हैं। ऐसे हालात बने हुए हैं।"
चौधरी ने भी साधा निशाना
भौमिक के जवाब के बाद अधीर रंजन चौधरी ने पश्चिम बंगाल में सरकार चला रही तृणमूल कांग्रेस (TMC) पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में फोन न उठाना और बातें न सुनना आदत बन गई है। उन्होंने मंत्री से मुर्शिदाबाद को विकसित करने में मदद मांगी है। इसके जवाब में केंद्रीय अधिकारिता और समाज कल्याण राज्य मंत्री भौमिक ने कहा उन्होंने पद संभालने के बाद जिले के लिए 12 करोड़ जारी किए हैं, लेकिन उनका उपयोग नहीं हो रहा।
TMC सांसदों ने जताया विरोध
भौमिक और चौधरी के बयानों के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने संसद में खूब विरोध किया। बता दें कि PM-DAKSH योजना का पूरा नाम प्रधानमंत्री दक्षता और कुशलता संपन्न हितग्राही है। इसका उद्देश्य अनुसूचित जाति समेत पिछड़े वर्गों के युवाओं को कौशल प्रदान करना है। बता दें कि केंद्र की कई योजना को लागू करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर होती हैं। केंद्र ने कई नीतियों में बंगाल का सहयोग न मिलने का आरोप लगाया है।
TMC और भाजपा के बीच रहती है तनातनी
ममता बनर्जी की TMC और केंद्र में सरकार चला रही भाजपा के बीच अकसर तनातनी बनी रहती है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री जहां भाजपा की कट्टर आलोचक हैं, वहीं भाजपा भी ममता पर तुष्टिकरण की राजनीति के आरोप लगाती आई है। सरकारों के स्तर पर भी बात करें तो बंगाल और केंद्र सरकार कई मुद्दों पर आमने-सामने आ चुकी है। इनमें पुलिस अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में भेजने का भी मामला शामिल है।