बीरभूम हिंसा: हाई कोर्ट ने TMC नेता की हत्या की जांच CBI को सौंपी
क्या है खबर?
कलकत्ता हाई कोर्ट ने उप ग्राम प्रधान भाडू शेख की हत्या की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी है।
बता दें कि शेख की हत्या के बाद पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में हिंसा शुरू हुई थी, जिसमें नौ लोगों को जिंदा जला दिया गया था।
कोर्ट ने बंगाल पुलिस को अब तक की जांच से जुड़े सारे रिकॉर्ड और गिरफ्तार किए आरोपियों को CBI को सौंपने का भी आदेश दिया है।
पृष्ठभूमि
21 मार्च की है घटना
पिछले महीने बीरभूम जिले के बगुटी गांव के उप प्रधान और TMC नेता भाडू शेख पर देसी बम से हमला कर उनकी हत्या कर दी गई थी।
शेख इलाके के एक लोकप्रिय नेता थे और उनकी मौत के बाद उनके समर्थकों ने विरोधी गैंग के लोगों के कुछ घरों पर हमला कर दिया।
उपद्रवी भीड़ ने कई घरों को बाहर से बंद कर उनमें आग लगा दी, जिससे नौ लोगों की जलकर मौत हो गई।
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हत्या और हिंसा की घटनाएं जुड़ी हुईं- कोर्ट
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि TMC से जुड़े नेता की हत्या और बीरभूम की हिंसा आपस में जुड़ी हुई है।
कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि CBI घरों में आग लगाने की घटना के साथ भाडू शेख की हत्या की भी जांच करेगी। हिंसा की जांच पिछले महीने ही CBI को सौंप दी गई थी।
CBI को अगली सुनवाई के दौरान दोनों मामलों की जांच की स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है।
जानकारी
बंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपी गई प्रोग्रेस रिपोर्ट
इससे पहले गुरुवार को CBI ने हिंसा मामले में अपनी जांच की प्रोग्रेस रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपी थी। तब हाई कोर्ट ने यह फैसला सुरक्षित रख लिया था कि क्या शेख की हत्या की जांच भी CBI करेगी।
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राजनीतिक दुश्मनी का नतीजा है घटनाएं- कोर्ट
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि रिपोर्ट से पता चलता है कि यह घटना गांव के दो गुटों के बीच दुश्मनी का नतीजा है। दोनों घटनाओं के बीच दो घंटों का भी अंतराल नहीं है।
कोर्ट ने आगे कहा कि अभी तक रिकॉर्ड पर रखे सबूतों से प्रथम दृष्टया लगता है कि दोनों घटनाओं के बीच गहरा रिश्ता है। ये घटनाएं कथित तौर पर राजनीतिक दुश्मनी का नतीजा बताई जा रही हैं।
जानकारी
मामले पर जमकर हुई थी राजनीति
इन दोनों घटनाओं को लेकर जबरदस्त राजनीति हुई थी। भाजपा ने इसे राजनीतिक हिंसा बताते हुए ममता बनर्जी का इस्तीफा मांगा था और घटना के तथ्य जानने के लिए अपना एक दल गांव भेजा था।
घटना के कारण राज्यपाल जगदीप धनखड़ और ममता एक बार फिर से आमने-सामने आ गए थे और राज्यपाल ने इसे लोकतंत्र और इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना बताया था।
विपक्षी पार्टियों ने मामले को विधानसभा और लोकसभा में भी उठाया था।