बिना चर्चा संसद से पारित हुआ कृषि कानूनों को निरस्त करने वाला विधेयक, विपक्ष का हंगामा
कृषि कानूनों को रद्द करने वाला विधेयक आज बिना चर्चा के ही संसद से पारित हो गया। पहले इसे मात्र कुछ मिनटों के अंदर लोकसभा से पारित किया गया और फिर राज्यसभा में भी यही प्रक्रिया अपनाई गई। विपक्ष मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहा था और बिना चर्चा के विधेयक को पारित किए जाने पर उसने हंगामा भी किया। हालांकि विधेयक को हंगामे के बीच ही पारित कर दिया गया।
विपक्षी सांसदों ने चर्चा के लिए दिए थे नोटिस
आज संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले विपक्षी सांसदों ने दोनों ही सदनों में कृषि कानूनों और किसानों के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए नोटिस भी दिए थे। लोकसभा में नेता विपक्ष अधीर रंजन चौधरी और कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कृषि कानूनों, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और मृत किसानों के परिजनों को मुआवजा देने पर चर्चा के लिए नोटिस दिए। राज्यसभा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, तेलंगाना राष्ट्र समिति और आम आदमी पार्टी के सांसदों ने नोटिस दिए।
जल्दबाजी करके खुद को किसानों का हितैषी साबित करना चाहती है सरकार- खड़गे
राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी विधेयक पर चर्चा की मांग की और इसे बिना बहस के पारित करने पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि कृषि कानून निरसन विधेयक, 2021 पर चर्चा हो। लेकिन इस विधेयक को जल्दबादी में पारित करके सरकार बस ये साबित करना चाहती है कि वो किसानों के साथ है।" उन्होंने लखीमपुर खीरी हिंसा और किसानों के बिजली के बिलों पर चर्चा की मांग भी की।
राहुल गांधी बोले- चर्चा से डर रही है सरकार
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी जल्दबाजी में विधेयक को पारित करने को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, "ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कृषि कानूनों को बिना चर्चा के निरस्त कर दिया गया। सरकार चर्चा से डर रही है। सच्चाई ये है कि केंद्र सरकार भारतीय लोगों की ताकत का सामना नहीं कर सकती जिनका इस मामले में किसानों ने नेतृत्व किया था। आने वाले विधानसभा चुनाव भी उनके दिमाग में रहे होंगे।"
प्रधानमंत्री मोदी ने 19 नवंबर को किया था कानूनों को वापस लेने का ऐलान
बता दें कि किसानों के कड़े विरोध और एक साल के किसान आंदोलन को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था। अपने ऐलान में उन्होंने देश से माफी भी मांगी थी और संसद के अगले सत्र में कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की थी। उनके ऐलान के बाद ही कृषि मंत्रालय और उपभोक्ता मंत्रालय ने इससे संबंधित विधेयक पर काम शुरू कर दिया था।
क्या थे विवादित कृषि कानून?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए पिछले साल सितंबर में तीन नए कृषि कानून लाई थी। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए थे। कई राज्यों के किसान एक साल से इन कानूनों का विरोध कर रहे थे। उनका तर्क था कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।