पश्चिम बंगाल के मंत्री सुब्रत मुखर्जी का निधन, ममता ने बताया व्यक्तिगत क्षति
तृणमूल कांग्रेस (TMC) के वरिष्ठ नेता और पश्चिम बंगाल सरकार में पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी का गुरुवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में उनका हृदय संबंधी बीमारियों का इलाज चल रहा था। राज्य के अन्य मंत्री फिरहाद हकीम ने बताया कि मुखर्जी की इस हफ्ते की शुरूआत में एंजियोप्लास्टी हुई थी और दिल का दौरा पड़ने के बाद रात 9:22 मिनट पर उनका निधन हो गया।
24 अक्टूबर को अस्पताल में भर्ती कराए गए थे मुखर्जी
सुब्रत मुखर्जी 75 वर्ष के थे और उनके परिवार में उनकी पत्नी है। पंचायत मंत्रालय के अलावा उनके पास तीन अन्य विभागों का भी प्रभार था। सांस लेने में परेशानी होने के बाद उन्हें 24 अक्टूबर को अस्पताल ले जाया गया था। वो ब्लड शुगर और दूसरी बीमारियों से जूझ रहे थे और 1 नवंबर को उनकी सर्जरी की गई थी। मुखर्जी ने 2010 में TMC का दामन थामा और उन्हें ममता बनर्जी का करीबी नेता माना जाता था।
ममता बनर्जी ने बताया बड़ी क्षति
सुब्रत मुखर्जी के निधन की जानकारी मिलने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कई अन्य नेताओं के साथ अस्पताल पहुंचीं। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैंने अपने जीवन में बड़ी त्रासदियों को देखा है लेकिन सुब्रत मुखर्जी का जाना मेरे जीवन की सबसे बड़े क्षति है। उनके कद का व्यक्ति जो पार्टी और अपने निवार्चन क्षेत्र के लोगों को इतना प्यार करता था, वह अब लौट कर नहीं आएगा। मैंने अस्पताल जाकर उनसे मुलाकात की थी।"
अस्पताल पहुंची ममता बनर्जी
छात्र नेता के तौर पर शुरू की थी राजनीतिक यात्रा
सुब्रत मुखर्जी ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत एक छात्र नेता के रूप में की थी। बाद में वो कांग्रेस नेता प्रिय रंजन दासमुंशी और सोमेन मित्रा के संपर्क में आए। कोलकाता के मेयर रहे मुखर्जी ने 2010 और मित्रा ने 2008 में ममता बनर्जी की TMC की सदस्यता ली थी। मित्रा 2014 में वापस अपनी पुरानी पार्टी में लौट गए, जबकि मुखर्जी TMC के साथ जुड़े रहे। नारदा स्टिंग मामले में उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी।
कांग्रेस और भाजपा नेताओं ने जताया दुख
पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी और पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष डॉ सुकांत मजूमदार ने मुखर्जी के निधन पर दुख व्यक्त किया है। चौधरी ने कहा, "यह पश्चिम बंगाल के लिए एक बड़ी क्षति है। ऐसा लगता है कि मैंने अपने बड़े भाई को खो दिया है।" वहीं मजूमदार ने मुखर्जी के निधन को बंगाल की राजनीति के एक महान युग का अंत बताते हुए कहा कि वो शुरुआत से लेकर आखिर तक लोकप्रिय नेता थे।