त्रिपुरा चुनाव: भाजपा का क्लीन स्वीप, सभी 20 नगर निकायों पर किया कब्जा
त्रिपुरा नगर निकाय चुनावों में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया है और आज आए नतीजों में उसने प्रचंड जीत हासिल की। 25 नवंबर को जिन 14 नगर निकायों में वोटिंग हुई थी, भाजपा ने उन सभी पर कब्जा कर लिया है। छह नगर निकायों को वह पहले ही निर्विरोध जीत चुकी है। इस तरह अब त्रिपुरा के सभी 20 नगर निकायों पर उसका कब्जा हो गया है। अन्य पार्टियों के हाथ एक-दो सीट के अलावा और कुछ नहीं लगा है।
भाजपा के लिए कितने अच्छे रहे नतीजे?
त्रिपुरा के 20 नगर निकायों में कुल 334 सीटें हैं जिनमें से 112 पर भाजपा प्रत्याशी पहले ही निर्विरोध जीत गए थे। बाकी 222 सीट के लिए 25 नवंबर को वोटिंग हुई और भाजपा ने इनमें से 217 पर जीत हासिल की है। इस तरह कुल 334 सीटों में से 329 पर अब भाजपा का कब्जा हो गया है। अगरतला नगर निगम की सभी 51 सीटों पर भाजपा जीती है और इतिहास में पहली बार इसमें कोई विपक्ष नहीं होगा।
अन्य पार्टियां कितनी सीटें जीतीं?
अन्य पार्टियों के हिस्से में सभी 20 नगर निकायों में मात्र पांच सीटें आईं। इनमें से सबसे अधिक तीन सीटें माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) ने जीतीं। उसने अम्बासा, पाणिसागर और कैलाशहर में एक-एक सीट पर जीत दर्ज की। राज्य में विस्तार करने का प्रयास कर रही ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC को मात्र एक सीट से संतोष करना पड़ा जो उसने अम्बासा नगर निगम में जीती। एक सीट स्थानीय पार्टी टिपरा मोथा के खाते में गई।
प्रधानमंत्री मोेदी बोले- त्रिपुरा के लोगों ने साफ संदेश दिया
पिछले कुछ समय से TMC के हमलों से परेशान नजर आ रही भाजपा के लिए ये नतीजे राहत लेकर आए हैं और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस जीत पर ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा, 'त्रिपुरा के लोगों ने साफ संदेश दे दिया है कि उन्हें सुशासन की राजनीति पसंद है। भाजपा को स्पष्ट समर्थन देने के लिए मैं उनका शुक्रिया अदा करता हूं। ये आशीर्वाद हमें त्रिपुरा के हर एक आदमी के लिए काम करने की शक्ति देता है।'
विपक्ष के लिए खतरे की घंटी हैं नतीजे
बता दें कि 2018 में भाजपा के राज्य की सत्ता में आने के बाद ये पहले निगर निकाय चुनाव थे और इनमें भाजपा का प्रदर्शन विरोधियों के लिए खतरे की घंटी है। ये नतीजे वामपंथी पार्टियों के लिए खास तौर पर चिंतनीय हैं क्योंकि पिछले चुनाव मेें उन्होंने सभी नगर निकायों पर कब्जा किया था। राज्य में विस्तार की कोशिश में लगी TMC के लिए भी ये नतीजे हतोत्साहित करने वाले हैं और उसे समीक्षा करने की जरूरत है।
चुनाव से पहले TMC और भाजपा समर्थकों के बीच में हुई थीं झड़पें
गौरतलब है कि इन चुनावों से पहले त्रिपुरा में भाजपा और TMC के समर्थकों के बीच हिंसक झड़पें हुई थीं। इन झड़पों के दौरान दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे पर कई संगीन आरोप लगाए थे। TMC की बंगाल इकाई की युवा शाखा की सचिव सायोनी घोष को तो त्रिपुरा पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया था। उन पर 'खेला होबे' के नारे लगाकर मुख्यमंत्री बिप्लब देब की सभा में बाधा पहुंचाने का आरोप है।