
सुप्रीम कोर्ट का त्रिपुरा निकाय चुनाव पर रोक लगाने से इनकार, दिए सुरक्षा बढ़ाने के आदेश
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को त्रिपुरा में होने वाले वाले निकाय पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई।
इसमें कोर्ट ने यह कहते हुए चुनाव पर रोक लगाने से इनकार कर दिया कि अब बहुत देर हो चुकी है। 25 नवंबर को चुनाव है और 28 नवंबर को मतगणना होगी।
हालांकि, इस दौरान कोर्ट ने त्रिपुरा सरकार को चुनाव से पहले, चुनाव के दौरान और बाद में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने भी निर्देश दिए हैं।
पृष्ठभूमि
TMC और भाजपा समर्थकों के बीच हो रही है झड़प
बता दें कि त्रिपुरा में होने वाले निकाय चुनावों को लेकर सत्ताधारी भाजपा और तृणमूल कांग्रेस (TMC) समर्थकों की बीच हिंसक झड़पें हो रही है।
रविवार को TMC की पश्चिम बंगाल यूनिट की युवा शाखा की सचिव सायोनी घोष को त्रिपुरा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। उन पर 'खेला होबे' के नारे लगाकर मुख्यमंत्री बिप्लब देब की सभा में बाधा पहुंचाने का आरोप था।
उसके बाद से ही TMC लगातार कानून व्यवस्था के दुरुपयोग का आरोप लगा रही है।
याचिका
TMC ने याचिका दायर कर की चुनाव पर रोक लगाने की मांग
मामले में TMC ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राज्य की कानून व्यवस्था खराब होने और उन्हें प्रचार करने का अवसर न दिए जाने को लेकर चुनाव पर रोक लगाने की मांग की थी।
TMC ने आरोप लगाया कि 18 अगस्त को भाजपा विधायक अरुण चंद्र भौमिक ने पार्टी कार्यकर्ताओं से 'तालिबानी स्टाइल' में TMC नेताओं पर हमला करने को कहा था। उसके बाद से ही राज्य की स्थिति खराब है चुनाव कराने लायक नहीं है।
सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा- चुनाव में सुरक्षा के क्या हैं इंतजाम?
सुप्रीम कोर्ट ने सुबह याचिका पर सुनवाई करते हुए त्रिपुरा सरकार से पूछा कि आज के चुनाव प्रचार, मतदान के दिन और परिणाम की घोषणा तक सराकर ने राज्य में सुरक्षा के लिए क्या विशेष व्यवस्था की है?
कोर्ट ने कहा कि सरकार के वकील को राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) और गृह सचिव से विस्तृत निर्देश लेकर दोपहर 12.45 बजे होने वाली सुनवाई में उपस्थित होना चाहिए। इससे चुनाव के लिए की गई सुरक्षा व्यवस्था स्पष्ट हो सकेगी।
सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा विधायक के भाषण को लेकर किया सवाल
सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या भाजपा विधायक ने तालिबान स्टाइल में हिंसा करने का भाषण दिया था? यदि दिया है तो विधायक के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई?
इस पर त्रिपुरा सरकार के अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि सरकार को नहीं लगता कि ये हिंसा को उकसाने वाला भाषण था। इसके बाद भी मामले में पूछताछ के लिए विधायक को बुलाया गया है, लेकिन इसका हिंसा से कोई सरोकार नहीं है।
जानकारी
TMC ने पेश की हिंसा की तस्वीरें
सुनवाई के दौरान TMC के वकील जयदीप गुप्ता ने हिंसा की तस्वीरें भी प्रस्तुत की गई। उन्होंने कहा कि राज्य में बहुत गंभीर स्थिति है। पुलिस की मौजूदगी में हिंसा होती है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। बल्कि उन्हें ही आरोपी बनाया जा रहा है।
फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव पर रोक लगाने से किया इनकार
मामले में शाम को तीसरी बार हुई सुनवाई में जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने निकाय चुनाव पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा, "कहा अब बहुत देर हो चुकी है। 25 नवंबर को चुनाव है और 28 नवंबर को मतगणना है। चुनाव स्थगित करना अंतिम विकल्प होता है।"
पीठ ने कहा, "हमारा विचार है कि चुनाव स्थगित करने से पहले त्रिपुरा सरकार को शांतिपूर्ण और व्यवस्थित चुनाव के लिए आवश्यक निर्देश दिए जाएं।"
निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने दिए सुरक्षा को मजबूत करने के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को कानून व्यवस्था को मजबूत करते हुए सुरक्षा बढ़ाने का आदेश देते हुए कहा कि चुनाव के लिए केंद्रीय बलों की तीन बटालियन लगाई गई है। ऐसे में DGP राज्य चुनाव आयोग के साथ बुधवार को बैठक कर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेना चाहिए। इस दौरान यदि और फोर्स की जरूरत हो तो केंद्र सरकार मांगी जाए।
कोर्ट ने कहा कि निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराना DGP और गृह सचिव की जिम्मेदारी है।
जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने मांगी अब तक हुई कार्रवाई की जानकारी
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार इस बात का तथ्यात्मक जानकारी कोर्ट को उपलब्ध कराए कि राज्य में चुनाव से पहले अब तक हुई हिंसा की वारदातों में क्या कार्रवाई की गई है और कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया है?