विपक्ष के हंगामे के बीच कृषि कानूनों को निरस्त करने वाला विधेयक लोकसभा से पारित
कृषि कानूनों को निरस्त करने वाला विधेयक लोकसभा से पारित हो गया है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष की नारेबाजी के बीच इसे लोकसभा में पेश किया और बिना किसी चर्चा के ही इसे पारित कर दिया गया। अब इसे आज दोपहर 2 बजे राज्यसभा में पेश किया जाएगा और यहां से पारित होने के बाद ये राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए जाएगा। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही तीनों कृषि कानून निरस्त हो जाएंगे।
विपक्ष ने की किसानों के मुद्दे पर चर्चा की मांग
कृषि कानून निरसन विधेयक पारित होने से पहले विपक्ष ने किसानों के मुद्दों पर चर्चा की मांग की और उसके हंगामे के कारण लोकसभा को स्थगित भी करना पड़ा। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने जान गंवाने वाले किसानों का रिकॉर्ड तैयार करने और उनके परिजनों को मुआवजा देने पर चर्चा करने की मांग की। वहीं नेता विपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने नोटिस पेश करते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर चर्चा की मांग की।
राकेश टिकैत ने जान गंवाने वाले किसानों को समर्पित की जीत
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने विधेयक के पारित होने पर खुशी जताई है। उन्होंने इसे आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 750 किसानों को समर्पित किया। उन्होंने आंदोलन के जारी रहने का ऐलान भी किया क्योंकि MSP जैसे मुद्दे अभी लंबित हैं।
क्या थे विवादित कृषि कानून?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए पिछले साल सितंबर में तीन नए कृषि कानून लाई थी। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए थे। कई राज्यों के किसान एक साल से इन कानूनों का विरोध कर रहे थे। उनका तर्क था कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने 19 नवंबर को किया था कानूनों को वापस लेने का ऐलान
किसानों के कड़े विरोध और एक साल के किसान आंदोलन को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था। अपने ऐलान में उन्होंने देश से माफी भी मांगी थी और संसद के अगले सत्र में कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की थी। उनके ऐलान के बाद ही कृषि मंत्रालय और उपभोक्ता मंत्रालय ने इससे संबंधित विधेयक पर काम शुरू कर दिया था।
किसानों के अगले कदम पर सबकी नजरें
प्रधानमंत्री के कानूनों को वापस लेने का ऐलान के बाद भी किसानों ने अपना आंदोलन समाप्त नहीं किया था और कानूनों के संसद से रद्द होने का इंतजार करने की बात कही थी। इसके अलावा किसान संगठनों ने सरकार से MSP जैसी उनकी अन्य मांगों पर भी गौर करने को कहा था। अब जब कृषि कानून संसद से रद्द होने जा रहे हैं तो सबकी नजरें किसानों के अगले कदम पर हैं।