बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और 90 वर्षीय गायिका ने ठुकराया पद्म सम्मान
पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य ने पद्म भूषण पुरस्कार को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। मंगलवार को उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार के लिए चुना गया है, लेकिन अगर सच में ऐसा है तो वह इसे अस्वीकार करते हैं। अपने बयान में उन्होंने अपने इस फैसले का कोई कारण नहीं बताया है। 90 वर्षीय गायिका संध्या मुखर्जी ने भी पद्मश्री सम्मान ठुकरा दिया है।
भट्टाचार्य की पत्नी ने स्वीकार किया था पुरस्कार- सरकार
बता दें कि सरकार पद्म पुरस्कार देने से पहले चयनित लोगों से संपर्क करती है और उन्हें पुष्टि करनी होती है कि वे पुरस्कार को स्वीकार करेंगे, तभी उनके नाम की घोषणा की जाती है। केंद्र सरकार के अनुसार, केंद्रीय गृह सचिव ने मंगलवार सुबह भट्टाचार्य की पत्नी से पुरस्कार को लेकर बात की थी और उन्होंने इसे स्वीकार करते हुए सरकार का शुक्रिया अदा किया था। इसी को सारी गड़बड़ का कारण माना जा रहा है।
कौन हैं बुद्धदेव भट्टाचार्य?
बुद्धदेव भट्टाचार्य 2000 से 2011 तक बंगाल के मुख्यमंत्री और CPM की शीर्ष बॉडी 'पॉलिटब्यूरो' के सदस्य रह चुके हैं। वे राज्य के आखिरी वामपंथी मुख्यमंत्री थे और उन्हें नंदीग्राम आंदोलन जैसी वजहों से सत्ता गंवानी पड़ी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कट्टर आलोचक माने जाने वाले 77 वर्षीय भट्टाचार्य अभी उम्र संबंधी बीमारियों के साथ-साथ दिल और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों से जूझ रहे हैं और अक्सर बीमार रहते हैं। उन्हें सार्वजनिक तौर पर बेहद कम देखा जाता है।
संध्या मुखर्जी ने भी ठुकराया सम्मान, कहा- मेरे लिए अपमान होगा
भट्टाचार्य के अलावा 90 वर्षीय गायिका संध्या मुखर्जी ने भी पद्मश्री पुरस्कार स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार स्वीकार करना उनके लिए अपमान होगा और सरकार यह तक नहीं जानती कि उन्होंने इतने सालों में क्या काम किया है। उनकी पोती सौमी सेनगुप्ता ने कहा कि उनके फैसले का राजनीति से कोई मतलब नहीं है। तबलावादक पंडित अनिंदो चटर्जी को भी पद्मश्री की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया।
ये हस्तियां भी लौटा चुकी हैं पद्म पुरस्कार
आज से पहले भी कई हस्तियां पद्म पुरस्कार लौटा या अस्वीकार कर चुके हैं। फिल्म लेखक सलीम खान ने कहा था कि उन्होंने 2015 में पद्मश्री स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। इतिहासकार रोमिला थापर ने 2005 में पद्म भूषण लेने से इनकार कर दिया था, वहीं 1974 में मिला सम्मान उन्होंने 1984 में स्वर्ण मंदिर में सैन्य कार्रवाई के बाद लौटा दिया था। लेखक खुशवंत सिंह ने भी इसी मुद्दे पर अपना पद्म भूषण लौटा दिया था।
इस साल 128 लोगों को किया गया पद्म पुरस्कारों से सम्मानित
बता दें कि केंद्र सरकार ने इस बार 128 लोगों को पद्म पुरस्कारों से नवाजा है। देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) दिवंगत जनरल बिपिन रावत, पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता कल्याण सिंह, गीता प्रेस गोरखपुर के चेयमैन राधेश्याम खेमका और शास्त्रीय गायिका प्रभा आत्रे को पद्म विभूषण दिया गया है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और गूगल के CEO सुंदर पिचाई समेत 17 हस्तियों को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है।
107 लोगों को दिया गया पद्मश्री
टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले हरियाणा के नीरज चोपड़ा, तमिलनाडु के मशहूर गायक एस बालासुब्रमण्यम (मरणोपरांत), साहित्य के क्षेत्र में दिल्ली की तारा जौहर, खेलकूद में उत्तराखंड की वंदना कटारिया, राजस्थान की अवनि लेखरा, ओडिशा के प्रमोद भगत, जम्मू-कश्मीर के फैसल अली डार, सिविल सेवा में दिल्ली के गुरुप्रसाद महापात्र (मरणोपरांत), मेडिसिन क्षेत्र में महाराष्ट्र के डॉ भीमसेन सिंघल और गायक सोनू निगम सहित 107 लोगों को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।