पायलट खेमे को मिला समय, हाई कोर्ट के आदेश के बाद कार्रवाई नहीं कर पाएंगे स्पीकर
राजस्थान हाई कोर्ट ने कहा है कि विधानसभा स्पीकर मंगलवार शाम पांच बजे तक सचिन पायलट के खेमे के विधायकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकेंगे। हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच सोमवार सुबह 10 बजे मामले की अगली सुनवाई करेगी। विधानसभा स्पीकर इस मामले पर आज शाम पांच बजे कोई फैसला लेने वाले थे, लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के बाद पायलट खेमे को मंगलवार शाम तक का समय मिल गया है।
स्पीकर के नोटिस के खिलाफ हाई कोर्ट गया था पायलट खेमा
सचिन पायलट की बगावत के बाद कांग्रेस ने व्हिप जारी कर विधायकों को विधायक दल की बैठक में शामिल होने को कहा था। पायलट और उनका खेमा इन बैठकों में शामिल नहीं हुआ, जिसके बाद कांग्रेस ने विधानसभा स्पीकर से पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए पायलट समेत 19 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की। स्पीकर ने बागियों को नोटिस जारी करते हुए शुक्रवार तक का समय दिया था, जो आज पूरा हो रहा था।
सुनवाई के दौरान दी गई ये दलीलें
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की पैरवी करते हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि सदन के बाहर व्हिप का उल्लंघन करना 10वीं अनुसूची में नहीं आता है। वहीं कांग्रेस की तरफ से दलील देते हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कोर्ट स्पीकर द्वारा जारी किए गए नोटिस में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। उन्होंने कहा कि नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका 'बिना सोची-समझी' है। वो स्पीकर के सामने अपना मुद्दा उठा सकते थे।
पार्टी को जगाना बगावत नहीं- साल्वे
साल्वे ने यह भी दलील कि पायलट गुट ने दल-बदल कानून का उल्लंघन नहीं किया है। सचिन पायलट के पक्ष में दलील देते हुए साल्वे ने कहा कि पार्टी को जगाना बगावत नहीं है। विधानसभा के बाहर दल-बदल कानून का प्रावधान लागू नहीं होता है। ऐसे में स्पीकर को नोटिस देने का अधिकार नहीं है। उन्होंने स्पीकर को भी कोर्ट में बुलाने की मांग की है। साल्वे ने कहा कि यह नोटिस बोलने के अधिकार के खिलाफ है।
सरकार के भविष्य से जुड़ी है बागी विधायकों की सदस्यता
बागी विधायकों की सदस्यता रद्द होना सीधे तौर पर गहलोत सरकार के भविष्य से जुड़ा है। अगर विधायकों की सदस्यता रद्द होती है तो विधानसभा का संख्याबल नीचे आ जाएगा और बहुमत परीक्षण की स्थिति में कांग्रेस आसानी से बहुमत साबित कर देगी। लेकिन अगर उनकी सदस्यता बरकरार रहती है और उन्हें बहुमत परीक्षण के दौरान वोट डालने का अधिकार मिलता है तो कांग्रेस के लिए अपनी सरकार बचाना मुश्किल साबित हो सकता है।
ऑडियो टेप सामने आने के बाद तेज हुआ सियासी घटनाक्रम
राजस्थान का सियायी घटनाक्रम एक ऑडियो टेप सामने आने के बाद और तेज हो गया है। विधायकों की खरीद-फरोख्त और गहलोत सरकार गिराने के प्रयासों को लेकर सार्वजनिक हुए आडियो टेप मामले में राजस्थान स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, राज्य में कांग्रेस के बागी विधायक भंवरलाल शर्मा व भाजपा नेता संजय जैन के खिलाफ FIR दर्ज की है। इनके खिलाफ राजद्रोह और खरीद-फरोख्त के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है।
शेखावत ने आरोपों का किया खंडन
वहीं शेखावत ने कहा कि है कि ऑडियो टेप में उनकी आवाज नहीं है और वो किसी भी जांच के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें जांच के लिए बुलाया जाता है तो वो जरूर जाएंगे।