भाजपा को दोबारा सत्ता में आने से रोकने के लिए विपक्ष ने बनाई यह खास रणनीति
क्या है खबर?
लोेकसभा चुनाव के आखिरी चरण पास आते-आते विपक्षी पार्टियां अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुट गई हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विपक्ष ने लोकसभा चुनाव खत्म होते ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने की रणनीति बनाई है।
विपक्षी पार्टियों का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिलकर उनसे मांग करेगा कि अगर चुनावों में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता है तो वे सबसे बडी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित न करें।
जानकारी
क्या है विपक्ष की रणनीति
NDTV की खबर के मुताबिक, 21 विपक्षी दल एक समर्थन पत्र तैयार कर रहे है। इन पार्टियों का कहना है कि चुनावों के नतीजे आते ही वो वैकल्पिक सरकार के गठन के लिए राष्ट्रपति को ये पत्र सौंपकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे।
रणनीति
क्यों उठाया जा रहा है यह कदम
नियमों के मुताबिक, अगर किसी दल को बहुमत नहीं मिलता है तो सबसे बड़ी पार्टी सरकार बनाने का दावा पेश करती है।
विपक्ष का मानना है कि अगर किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो भाजपा क्षेत्रीय दलों को तोड़ने का प्रयास करेगी।
इस कदम को ऐसे भी देखा जा सकता है कि विपक्ष मान चुका है कि अगर भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है तो वह सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सरकार बनाने का दावा करेगी।
इतिहास
पहले भी हो चुका है ऐसा
अगर इतिहास के पन्नों को पलटें तो साल 1998 का दृश्य याद आता है। 1998 के चुनावों में अटल बिहारी के नेतृत्व वाली भाजपा को 178 सीटें और गठबंधन को 252 सीटें मिली थी।
तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायण ने गठबंधन को सरकार बनाने और विश्वास मत साबित करने से पहले भाजपा को मौका दिया था।
बाहरी समर्थन से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी थी। हालांकि, 20 महीने बाद एक वोट से अटल सरकार गिर गई थी।
गणित
क्या है लोकसभा का गणित
लोकसभा में कुल 545 सीटें हैं, जिनमें से 543 सांसदों का चुनाव होता है। सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को इनमें से आधे से ज्यादा यानी 272 सीटों की जरूरत होती है।
जो पार्टी इस आंकड़ें को पार कर लेती है, वहीं देश पर राज करती है।
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 282 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल किया था। वहीं भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के पास कुल 336 सदस्य थे।
विपक्षी एकजुटता
विपक्ष में एकता नहीं, लेकिन भाजपा के खिलाफ 21 पार्टियां एकजुट
भाजपा को दोबारा सत्ता में आने से रोकने के लिए 21 पार्टियां एकजुट हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर इनका कोई गठबंधन नहीं हो पाया है, लेकिन ये पार्टियां भाजपा को दोबारा सरकार बनाने से रोकने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं।
उदाहरण के तौर पर देखें तो ममता बनर्जी दिल्ली में आकर कांग्रेस के सुर में सुर मिलाती हैं तो राज्य में कांग्रेस के खिलाफ ही चुनाव लड़ रही हैं।
ऐसे कई उदाहरण देखे जा सकते हैं।