इंटरनेट के बिना जीना चाहते हैं आधे से ज्यादा युवा, अध्ययन में हुआ खुलासा
क्या है खबर?
इन दिनों इंटरनेट जीवन का पर्याय बन चुका है। लोगों का सारा काम इंटरनेट के सहारे ही चलता है।
इस तकनीक ने जीवन को जितना आसान बनाया है, उतना ही इंसानों को आलसी और नासमझ बना दिया है।
बच्चों से लेकर बूढ़ों तक, सभी मोबाइल चलाते-चलाते ही सारा दिन बिता देते हैं।
हालांकि, क्या हो अगर अचानक इंटरनेट हमेशा के लिए बंद हो जाए? सुनने में अजीब लगता है, लेकिन आधे से ज्यादा युवा इंटरनेट के बिना जीना चाहते हैं।
अध्ययन
क्या है इस शोध में पाई गई जानकारी?
यूनाइटेड किंगडम (UK) में किए गए अध्ययन के जरिए सामने आया कि लगभग आधे युवा ऐसी दुनिया में रहना पसंद करेंगे, जहां इंटरनेट न हो।
इस शोध से पता चलता है कि 16 से 21 वर्ष की आयु के लगभग 70 प्रतिशत युवा सोशल मीडिया पर समय बिताने के बाद बुरा महसूस करते हैं।
50 प्रतिशत लोग डिजिटल कर्फ्यू का समर्थन करते हैं, जो रात 10 बजे के बाद कुछ ऐप और साइट तक उनकी पहुंच को प्रतिबंधित करता है।
तरीका
इस तरह पूरा किया गया अध्ययन
यह अध्ययन ब्रिटिश स्टैंडर्ड्स इंस्टीट्यूशन द्वारा किया गया था, जिसमें 1,293 युवाओं का सर्वेक्षण किया गया था। इसमें पाया गया कि 27 प्रतिशत प्रतिभागियों ने अजनबियों के साथ ऑनलाइन पता तक साझा किया।
इसी सर्वेक्षण में तीन-चौथाई लोगों ने कहा कि उन्होंने महामारी के बाद से ऑनलाइन ज्यादा समय बिताया शुरू कर दिया।
68 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उन्होंने जो समय ऑनलाइन बिताया वह उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक था।
प्रतिभागी
प्रतिभागियों ने मानी फेक अकाउंट बनाने की बात
प्रतिभागियों में से एक चौथाई सोशल मीडिया पर दिन में 4 से ज्यादा घंटे बिताते हैं।
42 प्रतिशत ने यह बात स्वीकार करी कि वे अपने माता-पिता से झूठ बोलकर इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं।
42 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने आईडी बनाने के लिए अपनी उम्र के बारे में झूठ बोला।
वहीं, 40 प्रतिशत ने स्वीकार किया कि उनके पास एक फर्जी अकाउंट है और 27 प्रतिशत पूरी तरह से एक अलग व्यक्ति होने का दिखावा करते हैं।
कारण
क्यूं किया गया यह अध्ययन?
ये नतीजे प्रौद्योगिकी सचिव पीटर काइल द्वारा दिए गए संकेतों के बाद सामने आए हैं।
उन्होंने कहा था कि सरकार टिक-टॉक और इंस्टाग्राम जैसे ऐप के लिए कट-ऑफ समय अनिवार्य बनाने की संभावना पर विचार कर रही है।
ऑनलाइन बाल सुरक्षा की नीति प्रबंधक रानी गोवेंडर ने कहा कि डिजिटल कर्फ्यू मददगार तो है, लेकिन अन्य उपायों के बिना बच्चों को सोशल मीडिया के संपर्क में आने से नहीं रोका जा सकता।