प्लास्टिक के खतरनाक महीन कणों में बदल रही रंगीन प्लास्टिक, शोध में हुआ खुलासा
यूनाइटेड किंगडम (UK) और दक्षिण अफ्रीका में केप टाउन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के बीच 3 साल की संयुक्त शोध परियोजना से यह पता चला है कि रंग के आधार पर प्लास्टिक में अलग-अलग गिरावट की दर होती है। इस शोध में पाया गया कि रंगीन प्लास्टिक समय के साथ प्लास्टिक के खतरनाक महीन कणों में बदल जाते हैं, जबकि काले और सफेद रंग के प्लास्टिक अप्रभावित होते हैं। यह शोध 'जर्नल एनवायरमेंटल पॉल्यूशन' में प्रकाशित हुआ है।
कैसे किया गया यह शोध?
इस शोध के लिए UK के शोधकर्ताओं ने इंग्लैंड में स्थित लीसेस्टर विश्वविद्यालय की छत पर लगभग 3 साल तक सूरज के संपर्क में अलग-अलग रंगों की बोतलों के ढक्कन रखे थे, जबकि दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने सुदूर समुद्र तट पर पाए जाने वाले प्लास्टिक की वस्तुओं की जांच की। दोनों के अध्ययनों से समान परिणाम सामने आए और रंग के आधार पर माइक्रोप्लास्टिक (प्लास्टिक के महीन कणों) के निर्माण में महत्वपूर्ण अंतर का पाया गया।
दोनों अध्ययनों से सामने आया समान- डॉ सारा
शोध की सह-लेखिका डॉक्टर सारा गैबॉट का कहना है, "लीसेस्टर विश्वविद्यालय की छत पर किए गए अध्ययन और दक्षिण अफ्रीका के समुद्रतट के अध्ययन के लिए एकत्र किए नमूनों से समान परिणाम मिला है। जहां रंगीन प्लास्टिक के नमूने प्लास्टिक के खतरनाक महीन कणों में बदल गए, वहीं काले या सफेद रंग की प्लास्टिक की चीजे वैसी मिली, जैसे उन्हें 3 साल पहले देखा गया था।"
रंगीन प्लास्टिक का न करें इस्तेमाल- डॉ सारा
शोध के परिणाम के बाद डॉ सारा ने खुदरा विक्रेताओं और निर्माताओं को रंगीन प्लास्टिक का इस्तेमाल न करने की सलाह दी है, खासतौर से खाने की चीजों के लिए। डॉ सारा ने यह भी बताया कि वह अक्सर यह सोचती थी कि समुद्र तट की रेत में प्लास्टिक के महीन कणों से इंद्रधनुष जैसे रंग क्यों दिखते थे, लेकिन अब उन्हें समझ आ गया कि ये रंगीन प्लास्टिक से बनने वाले कण होते हैं।
रंगीन प्लास्टिक कैसे प्लास्टिक के खतरनाक महीन कणों में बदल जाते हैं?
शोध में पाया गया कि रंगीन प्लास्टिक जब सूरज की हानिकारक यूवी किरणों के संपर्क में ज्यादा रहता है तो वे जल्द ही प्लास्टिक के खतरनाक महीन कणों में तबदील हो जाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ये प्लास्टिक कण इतने छोटे होते हैं कि ये पाचन क्रिया या फेफड़ों के ऊतकों के जरिए खून में मिल सकते हैं, जिससे हानिकारक प्लास्टिक पूरे शरीर और कोशिकाओं में फैल सकता है।