कबीर बेदी रोकना चाहते थे बेटे की आत्महत्या, असफल होने का है अफसोस
बॉलीवुड अभिनेता कबीर बेदी ने करियर के साथ-साथ अपने निजी जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। उन्होंने 1971 में फिल्म 'हलचल' से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। 80 के दशक में एक इतालवी टीवी शो से उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली। इसके बाद वह हॉलीवुड फिल्मों में भी नजर आए। करियर में सफलता-असफलता के बीच कबीर ने अपने एक बेटे को खो दिया। अब एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उन्हें इसका आज तक मलाल है।
26 साल की उम्र में कबीर के बेटे ने कर ली थी खुदकुशी
कबीर के बेटे सिद्धार्थ ने 1997 में आत्महत्या कर ली थी। सिद्धार्थ कबीर और उनकी पहली पत्नी प्रतिमा के बेटे थे। वह सिजोफेनिया नाम की मानसिक बीमारी से पीड़ित थे। 26 साल की उम्र में उन्होंने खुदकुशी कर ली थी। आजतक के एक कार्यक्रम में कबीर ने बताया कि बेटे की मौत से वह टूट गए थे। उन्होंने कहा, "मैंने अपने बेटे को आत्महत्या से बचाना चाहा, पर मैं बचा नहीं पाया। मुझे इसका अफसोस होता है।"
घटना के समय आर्थिक नुकसान क सामना कर रहे थे कबीर
कार्यक्रम में कबीर ने अपनी जीवनी 'स्टोरीज आइ मस्ट टेल' पर बात की। उन्होंने कहा कि इस किताब में उन्होंने जो कुछ भी लिखा है, दिल से लिखा है। उन्होंने कहा, "गलत निवेश के कारण मुझे काफी नुकसान हुआ था। यह सब तब हो रहा था जब मेरा बेटा सिजोफेनिया से पीड़ित था। आर्थिक रूप से उसी वक्त मुझे भारी नुकसान हुआ। मैं ऑडिशन के लिए जाता था, लेकिन मुझे पता नहीं था कि क्या करना है।"
कबीर पहले भी साझा कर चुके हैं सिद्धार्थ की यादें
कबीर इससे पहले भी सोशल मीडिया पर सिद्धार्थ की यादें साझा कर चुके हैं। सिद्धार्थ के जन्मदिन पर उन्होंने उनकी पुरानी तस्वीरें शेयर की थीं। इसके साथ उन्होंने लिखा था, 'यह मेरे बेटे सिद्धार्थ और उसके जैसे युवाओं को समर्पित है, जो बदलाव देखना चाहते हैं। उम्मीद है आप सभी के सपने पूरे होंगे।' पोस्ट के कैप्शन में उन्होंने लिखा था, 'आज सिद्धार्थ का जन्मदिन है। आज एक कैंडल जलाई जाएगी, उसके लिए प्रार्थना की जाएगी। आप सभी को प्यार।'
कबीर बेदी ने बेटे की यादें साझा कीं
क्या है सिजोफेनिया?
सिजोफेनिया एक गंभीर मानसिक बीमारी है। इसमें पीड़ित को अपने आसपास की चीजों को समझने में भ्रम होता है। पीड़ित अपने आप को नियंत्रण में नहीं रख पाता है और उसे बोलने में परेशानी होती है। बीमारी के शुरूआती चरण में पीड़ित खुद को सामाज से काटने की कोशिश करता है और किसी तरह की भावनाएं जताने से बचता है। सिजोफेनिया के सही इलाज से पीड़ित एक सामान्य जीवन जी सकते हैं।