शिक्षक दिवस: मिलिए इतिहास के 5 प्रसिद्ध शिक्षकों से, जिन्होंने भारतीय शिक्षा को दी नई दिशा
सभी के जीवन में शिक्षकों का बहुत बड़ा योगदान होता है, क्योंकि वे हमें ज्ञान देते हैं। शिक्षकों का धन्यवाद करने और उन्हें सम्मान देने के लिए 5 सितंबर को टीचर्स डे यानि शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस दिन शिक्षकों के लिए उनके छात्र तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित करते हैं और उन्हें तोहफे भी देते हैं। इस खास दिन से पहले भारत के इतिहास के कुछ महान शिक्षकों के बारे में जानिए, जिन्होनें शिक्षा को एक नई दिशा दी।
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
भारत के दूसरे राष्ट्रपति और पहले उपराष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन इतिहास के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों में से एक थे। 1962 में उनके कुछ पूर्व छात्रों ने उनका जन्मदिन मनाना चाहा, तब उन्होंने जन्मदिन के बजाय शिक्षक दिवस मानाने का आग्रह किया था। उन्होंने 21 साल की उम्र में दर्शनशास्त्र में मद्रास के क्रिस्चियन कॉलेज से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की थी। डॉ. राधाकृष्णन ने दर्शनशास्त्र की सबसे कठिन अवधारणाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
चाणक्य
चाणक्य भारतीय इतिहास के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों में से एक हैं। चौथी शताब्दी में उन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से जाना जाता था। चाणक्य को एक महान दार्शनिक और न्यायविद् के रूप में सम्मान दिया जाता था। उनकी 2 पुस्तकें नीतिशास्त्र यानि चाणक्य नीति और अर्थशास्त्र में कई सूत्र शामिल हैं। लोग आज भी चाणक्य की शिक्षाओं को सर्वोच्च सम्मान के साथ अपनाते हैं। जानिए 5 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस।
डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एक प्रमुख वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्होंने भारतीय शिक्षा में अपना कीमती योगदान दिया था। उनका मानना था कि एक छात्र को केवल शैक्षणिक डिग्री रखने के अलावा, एक उज्ज्वल करियर और जीवन बनाने के लिए अपने व्यक्तिगत कौशल और क्षमता को निखारना चाहिए। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को आज भी कई लोग भारत का सर्वश्रेष्ठ शिक्षक मानते हैं। एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन से जुड़ी ये प्रेरणादायक किताबें जरूर पढ़ें।
स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद भारत के सबसे महान शिक्षकों में से एक हैं। शिक्षा, आस्था, चरित्र निर्माण और भारत से संबंधित सामाजिक मुद्दों पर उनकी शिक्षाएं दुनियाभर में मशहूर हैं। उन्होंने गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का प्रचार किया, जहां स्कूल और घर एक साथ मिश्रित होते हैं। स्वामी विवेकानंद के अनुसार, शिक्षा में भौतिक, शारीरिक, नैतिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक जैसे जीवन के सभी पहलुओं को शामिल किया जाना चाहिए। जानिए स्वामी विवेकानंद द्वारा दी गई जिंदगी की कुछ महत्वपूर्ण सीख।
स्वामी दयानंद सरस्वती
स्वामी दयानंद सरस्वती एक भारतीय शिक्षाविद् और आर्य समाज के संस्थापक थे। वह संस्कृत भाषा के साथ-साथ वैदिक विद्या के भी विद्वान थे। वह वैदिक काल के दौरान हिंदू सुधार आंदोलनों के नेता भी थे। श्री दयानंद ने महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाई थी और महिलाओं की शिक्षा के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ी थी। उनका उद्देश्य था कि शिक्षा प्रणाली के साथ-साथ विद्यार्थी के व्यक्तित्व का निर्माण भी होना चाहिए।