शिक्षक दिवस विशेष: अपने गुरु बिरजू महाराज की ताल पर थिरक कर 'कथक क्वीन' बनीं माधुरी
देशभर में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। बॉलीवुड के भी कई ऐसे टीचर हैं, जिन्होंने इंडस्ट्री को चमकते सितारे दिए। हुनर तो हर किसी के अंदर होता है, लेकिन उसे तराशने और प्रोत्साहित करने का काम शिक्षकों ने किया। अब बॉलीवुड की धक-धक गर्ल माधुरी दीक्षित को ही ले लीजिए, कथक की दुनिया में जिनके करियर को उड़ान पंडित बिरजू महाराज ने दी। आइए गुरु-शिष्या की इस जोड़ी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
तीन साल की उम्र से कथक सीखने लगी थीं माधुरी
जब भी भारतीय शास्त्रीय नृत्य के बारे में बात की जाती है तो सबसे पहले पंडित बिरजू महाराज का नाम लिया जाता है। पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज ने कथक को एक नई और अलग ही पहचान दी। माधुरी दीक्षित बॉलीवुड की उन चुनिंदा हस्तियों में से एक हैं, जिन्होंने पंडित बिरजू महाराज से कथक सीखा है। माधुरी ने तीन साल की उम्र से कथक सीखना शुरू किया था। उन्होंने आठ साल तक कथक की शिक्षा ली।
पहली बार इस फिल्म के लिए साथ आए बिरजू महाराज और माधुरी
1997 में पहली बार बिरजू महाराज और माधुरी दीक्षित ने किसी फिल्म में साथ काम किया था। फिल्म का नाम था 'दिल तो पागल है'। इसके बाद संजय लीला भंसाली की फिल्म 'देवदास' के गाने 'काहे छेड़ मोहे' में माधुरी ने पंडित बिरजू महाराज की ओर से कोरियोग्राफ किए गाने पर डांस किया था। फिल्म 'डेढ़ इश्किया' के गाने 'जगावे सारी रैना' में भी माधुरी ने बिरजू महाराज द्वारा सिखाया कथक ही किया था।
बिरजू महाराज से यहां मिली थीं माधुरी
माधुरी ने कहा था, "मैंने पहली बार महाराज जी को मुंबई के रंग भवन में परफॉर्म करते देखा था, जहां जाकिर हुसैन साहब तबला बजा रहे थे। महाराज जी की बॉडी लैंग्वेज देखने लायक थी।" उन्होंने बताया, "महाराज जी से मेरी पहली मुलाकात अमेरिका में हुई थी। मैं उस समय पांच या छह साल की थी। कथक तो पहले से सीख रही थी, लेकिन मैं महाराज जी जैसा कथक सीखना चाहती थी। लिहाजा मैंने उन्हीं को अपना गुरु बना लिया।"
2013 में पहली बार अपने गुरु के साथ किसी शो के मंच पर थिरकी थीं माधुरी
2013 में 'झलक दिखला जा' के मंच पर माधुरी ने फिल्मी धुनों की जुगलबंदी पर साथ परफॉर्म किया था। माधुरी ने कहा था कि इतने सुप्रसिद्ध कलाकार के साथ नृत्य करना उनके लिए सम्मान की बात है। परफॉर्मेंस से पहले माधुरी काफी डरी हुई थीं। उन्होंने कहा था, "मैं खुश और सम्मानित महसूस कर रही हूं, लेकिन मैं बहुत डरी हुई थी। मैं यह सोचकर घबरा रही थी कि क्या मैं उनके साथ कदम से कदम मिला पाऊंगी?"
माधुरी की नजर में बिरजू महाराज जैसा कोई नहीं
माधुरी ने एक इंटरव्यू में कहा था, "मैं बिरजू महाराज जी की बहुत बड़ी फैन हूं। वह सर्वश्रेष्ठ कथक नर्तक हैं। हमारे देश में बहुत से प्रतिभावान नर्तक हैं, लेकिन मैंने पंडित बिरजू महाराज जैसा दूसरा कोई नहीं देखा। मैं उनकी बहुत इज्जत करती हूं।" उन्होंने कहा, "महाराज जी एक बहुत अच्छे इंसान भी हैं। आज मैंने जो कुछ हासिल किया है, इसमें महाराज जी का योगदान अहम है। मैं खुशनसीब हूं कि मैंने उनसे नृत्य की शिक्षा ली।"
बिरजू महाराज की पसंदीदा नृत्यांगना रही हैं माधुरी
दूसरी तरफ माधुरी भी बिरजू महाराज की पसंदीदा नृत्यांगना रही हैं। बिरजू महाराज मानते हैं कि वहीदा रहमान के बाद बॉलीवुड में माधुरी सबसे अच्छी डांसर हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "माधुरी बेहतरीन डांसर है। वह मुझे मीना कुमारी और वहीदा रहमान की याद दिला देती हैं। खास बात है यह कि आज भी माधुरी के अंदर बच्चा है, जो हमेशा सीखने के लिए लालायित रहता है। माधुरी के चेहरे पर भाव काफी सहजता से आते हैं।"
बिरजू महाराज को विरासत में मिला कथक नृत्य
बिरजू महाराज लखनऊ के कथक घराने में पैदा हुए। उनके पिता अच्छन महाराज और चाचा शम्भू महाराज देश के प्रसिद्ध कलाकार थे। बिरजू महाराज के पूर्वज इलाहाबाद की हंडिया तहसील के रहने वाले थे, जहां सन 1800 में कथक कलाकारों के 989 परिवार रहते थे।