लोगों को हैं आंखों की सेहत से जुड़े ये भ्रम, जानिए इनकी सच्चाई
कहते हैं कि किसी के झूठ का पता उसकी आंखों से चल जाता है। इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो हम नहीं जानते, लेकिन आंखों की सेहत से जुड़ी ऐसी कई गलत धारणाएं या फिर कहें कि भ्रम हैं, जिनकी सच्चाई से लोग कोसों दूर हैं। चलिए फिर आज हम आपको आंखों की सेहत से जुड़े कुछ ऐसे भ्रमों के बारे में बताते हैं, जिनकी सच्चाई आपको जरूर पता होनी चाहिए।
भ्रम- कम रोशनी में पढ़ने से आंखें खराब हो जाती हैं
शायद यह सबसे आम भ्रम है कि कम रोशनी में पढ़ने से आंखें खराब हो जाती हैं, जबकि ऐसा कुछ नहीं है। सच बात तो यह है कि कम रोशनी में पढ़ने से आंखें कुछ समय के लिए थक जाती हैं या फिर आंखों में दर्द महसूस हो सकता है क्योंकि इससे आंखों की मांसपेशियां और लेंस प्रभावित होते हैं, लेकिन कम रोशनी में पढ़ने से आंखें हमेशा के लिए खराब नहीं होती है।
भ्रम- अधिक गाजर का सेवन करने से आंखों की रोशनी तेज होती है
यह भी सिर्फ एक भ्रम है कि अधिक गाजर का सेवन करने से आंखों की रोशनी तेज होती है, जबकि ऐसा नहीं है क्योंकि इस बात से संबंधी कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि आप गाजर का सेवन ही न करें। गाजर के अपने कुछ स्वास्थ्य लाभ होते हैं। जैसे गाजर में बेटा करोटेन नामक एंटी-ऑक्सीडेंट मौजूद होता है, जो आंखों को नुकसान पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मददगार होता है।
भ्रम- हर समय चश्मा पहनने से आंखें कमजोर हो जाती हैं
कई लोग इस बात को सच मानते हैं कि हर समय चश्मा पहनने से आंखें कमजोर हो जाती हैं, लेकिन यह बात पूरी तरह से गलत है। हालांकि, हर समय चश्मा पहनने से उसके निशान आंखों के आस-पास बन जाते हैं, लेकिन इससे आंखों की रोशनी पर बुरा असर नहीं पड़ता है बल्कि जिन लोगों की आंखें कमजोर हैं उनके लिए हर समय चश्मा लाभदायक होता है क्योंकि इससे उनकी आंखों पर किसी भी तरह का दबाव नहीं पड़ता है।
भ्रम- बहुत नजदीक बैठकर टीवी देखने से आंखें खराब हो जाती हैं
आंखों की सेहत से जुड़ा एक भ्रम यह भी है कि बहुत नजदीक बैठकर टीवी देखने से आंखें खराब हो जाती हैं, लेकिन यह एक गलत अवधारणा है क्योंकि असल में इस बात का आंखों की रोशनी से कोई संबंध नहीं है। हालांकि, यह बात सच है कि लगातार या फिर ज्यादा देर तक टीवी जैसी किसी भी स्क्रीन को देखते रहने से आंखों में सूखेपन की समस्या आ सकती है।