अपना आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए अपनाएं ये तरीके, मिलेगी हर क्षेत्र में सफलता
आत्मविश्वास को किसी व्यक्ति की क्षमताओं, गुणों और निर्णय लेने में विश्वास की भावना के रूप में परिभाषित किया गया है। आत्मविश्वास किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक कल्याण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आत्मविश्वास बेहतर होने से कोई भी व्यक्ति अपने निजी और व्यावसायिक जीवन में सफल हो सकता है और नए कीर्तिमान स्थापित कर सकता है। ऐसे में आज हम आपको आत्मविश्वास के फायदे और उसे बढ़ाने के पांच तरीकों के बारे में बताएंगे।
आत्मविश्वास के फायदे
जब कोई व्यक्ति खुद पर विश्वास करता है तो वह नए काम की कोशिश करता है। चाहे व्यक्ति नौकरी में पदोन्नति की चाह रखता हो या कुछ और काम करना चाहता है, उसके लिए खुद पर विश्वास करना बहुत जरुरी होता है। जब आपको अपने ऊपर विश्वास होता है, तब आप यह सोचने में समय नहीं गंवाते कि आप उस काम में बेहतर हैं या नहीं। आप अपने संसाधनों और अपनी ऊर्जा को प्रयास करने में लगा देते हैं।
लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए होना चाहिए आत्मविश्वास
जब आप आत्मविश्वास से भरे होते हैं तो आप पूरा ध्यान अपना संदेश लोगों तक पहुंचाने पर देते हैं। वहीं, जब आप में आत्मविश्वास की कमी होती है तो आप ये सोचते हैं कि शायद लोग आपको सुन नहीं रहे हैं। ऐसा होने पर आप अपनी बात लोगों तक नहीं पहुंचा पाते हैं। आपके पास ज्ञान होता है, फिर भी आत्मविश्वास की कमी से आप लोगों पर अपना प्रभाव छोड़ने में नाकाम होते हैं। इसलिए आत्मविश्वास होना बहुत जरूरी है।
ज्ञान और अनुभव से धीरे-धीरे विकसित होता है आत्मविश्वास
कोई भी आत्मविश्वास के साथ पैदा नहीं होता है। समय, अनुभव और ज्ञान के आधार पर धीरे-धीरे आत्मविश्वास विकसित होता जाता है। फिर भी अगर आपके अंदर आत्मविश्वास की कमी है तो आप निम्न उपाय अपना सकते हैं।
दूसरों से खुद की तुलना करना बंद करें
दूसरों से खुद की तुलना करना नुकसानदायक होता है। चाहे आप अपने रंग-रूप, ज्ञान-कौशल या आर्थिक स्थिति को लेकर ही क्यों न करें। पर्सनालिटी एंड इंडिविजुअल डिफरेंसेस की 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार, जो लोग दूसरों से अपनी तुलना करते हैं, उनमें ईर्ष्या की भावना उत्पन्न हो जाती है। इससे व्यक्ति का जीवन बर्बाद हो सकता है। इसलिए दूसरों से खुद की तुलना करना बंद कर दें और यह सोचे कि हर व्यक्ति अपने आप में खास होता है।
अपने शरीर का अच्छे से ख्याल रखें
अगर आप अपने शरीर का अच्छे से ख्याल नहीं रख रहे हैं तो खुद के बारे में अच्छा सोचना मुश्किल है। कम सोना, हानिकारक खाद्य पदार्थों का सेवन और एक्सरसाइज न करने से आपके शरीर को नुकसान होता है। न्यूरोसाइकिएट्रिक डिजीज एंड ट्रीटमेंट में प्रकाशित 2016 की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक्सरसाइज करने से लोगों की काया बेहतर होती है और इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है। इसलिए अपने शरीर का अच्छे से ख्याल रखें, इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा।
अपने साथ अच्छा व्यवहार करें
जब आपसे कोई गलती होती है या आप किसी काम में असफल हो जाते हैं तो खुद को तसल्ली दें और अपने साथ अच्छा व्यवहार करें। कई लोग ऐसी स्थिति में खुद के साथ दुर्व्यवहार करते हैं और इसका उनके ऊपर बुरा प्रभाव पड़ता है। जर्नल ऑफ पर्सनालिटी में प्रकाशित 2009 की एक रिपोर्ट के अनुसार, अपने साथ अच्छा व्यवहार करने से आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है। इसलिए कोई गलती होने पर याद करें कि कोई भी पूर्ण नहीं है।
आत्म-संदेह को अपनाएं और अपने डर का सामना करें
अपने कुछ ऐसे डर का सामना करने का अभ्यास करें, जो आत्मविश्वास की कमी से पैदा होते हैं। अगर आप कोई काम करने से डरते हैं और आपको लगता है कि आप गड़बड़ कर देंगे, तो उसे जरुर करें। अगर आपको एक बड़ा भाषण देना है तो आप उसकी तैयारी अपने दोस्तों या परिवार के सामने करें, लेकिन 100 प्रतिशत तैयार होने तक इंतजार न करें। आत्म-संदेह को अपनाने से आपको बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिल सकती है।
अपने व्यवहार के साथ प्रयोग करें
जब आपका दिमाग किसी मीटिंग में बोलने से मना करे या आपके अंदर ये ख्याल आए कि आप ये नहीं कर सकते हैं, तो खुद को याद दिलाएं कि आपके विचार हमेशा सही नहीं होते हैं। ऐसी स्थिति में आपका दिमाग जो करने से आपको रोकता है, उसे चुनौती की तरह स्वीकार करें और उसे करें। आप अपने व्यवहार के साथ प्रयोग करें और अंत में आप पाएंगे कि आप जितना डर रहे थे, काम उतना बुरा नहीं हुआ।
मानसिक विकार से उत्पन्न हुई आत्मविश्वास की कमी के लिए मनोचिकित्सक की मदद लें
उपर्युक्त उपायों को अपनाकर आप अपना आत्मविश्वास बढ़ा सकते हैं। लेकिन आपके आत्मविश्वास के मुद्दे आपके काम, सामाजिक जीवन या आपकी शिक्षा में बाधा डालते हैं, तो आप किसी पेशेवर की मदद लें। कई बार आत्मविश्वास में कमी की समस्या, अतीत में हुई किसी बढ़ी और भयानक घटना के कारण उत्पन्न हो जाती है। यह एक तरह का मानसिक विकार होता है। इसके समाधान के लिए किसी पेशेवर मनोचिकित्सक की मदद लें।