जल्दी सोने वालों की तुलना में देर रात जागने वालों में होती हैं बेहतर संज्ञानात्मक क्षमताएं
इंपीरियल कॉलेज लंदन के नेतृत्व में हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि रात को देर तक जागने वाले लोगों की संज्ञानात्मक क्षमताएं जल्दी सोने वालों से बेहतर होती हैं। इस शोध में यूके बायोबैंक अध्ययन के माध्यम से 26,000 से अधिक प्रतिभागियों के डाटा का विश्लेषण किया गया था। परिक्षण लोगों की बुद्धि, तर्क, प्रतिक्रिया समय और स्मृति के आधार पर हुआ था। आइए इस संज्ञानात्मक अध्ययन के विषय में विस्तार से जानते हैं।
रचनात्मकता लोगों और देर तक जागने वालों के बीच है संबंध
इस अध्ययन में देर तक जागने वालों और रचनात्मक व्यक्तियों के बीच एक संबंध पाया गया है। रात में देर तक जागने वालों में जेम्स जॉयस, कान्ये वेस्ट और लेडी गागा जैसे कलाकार, लेखक और संगीतकार शामिल हैं। हालांकि, शोध में दिमाग के ठीक तरह से काम करने के लिए नींद के महत्व को भी समझाया गया है। अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. राहा वेस्ट ने कहा कि मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए नींद जरूरी होती है।
पर्याप्त नींद लेने से दिमाग होता है स्वस्थ
इस अध्ययन में नींद की अवधि और गुणवत्ता के महत्व को रेखांकित किया गया है। शोध के मुताबिक, जो प्रतिभागी हर रात 7 से 9 घंटे तक सोते थे उन्होंने संज्ञानात्मक परीक्षणों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। अध्ययन के सह-लेखक प्रोफेसर दकिंग मा ने कहा कि नींद की अवधि मस्तिष्क के कार्य पर सीधा प्रभाव डालती है। उनके अनुसार, मस्तिष्क के कार्य को बढ़ाने और उसे सुरक्षित रखने के लिए नींद को प्रबंधित करना वास्तव में बेहद जरूरी होता है।
अध्ययन के निष्कर्ष को जीवन में अपनाने से पहले बरतें सावधानी-विशेषज्ञ
अध्ययन के निष्कर्ष दिलचस्प हैं, लेकिन विशेषज्ञ इन्हें अपनाने में सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। अल्जाइमर रिसर्च के जैकी हैनली ने कहा कि मस्तिष्क में होने वाले कार्यों की विस्तृत तस्वीर के बिना, यह स्पष्ट करना मुश्किल है कि देर से सोना सोचने की क्षमता को प्रभावित करता है या नहीं। ब्रुनेल यूनिवर्सिटी लंदन की नींद विशेषज्ञ जेसिका चेलेकिस ने कहा कि अध्ययन में शिक्षा प्राप्ति या दिन के संज्ञानात्मक परीक्षणों के समय को शामिल नहीं किया गया है।
जीवनशैली से भी जुड़ी है हमारी संज्ञानात्मक क्षमताएं
विश्लेषण में उम्र, लिंग, धूम्रपान व शराब का सेवन और हृदय रोग व मधुमेह जैसी बीमारियों सहित विभिन्न स्वास्थ्य और जीवनशैली कारकों को ध्यान में रखा गया था। आम तौर पर युवा व्यक्तियों और बिना किसी पुरानी बीमारी वाले लोगों ने संज्ञानात्मक परीक्षणों में उच्च अंक प्राप्त किए। अध्ययन में पाया गया है कि बेहतर संज्ञानात्मक प्रदर्शन स्वस्थ जीवनशैली से भी जुड़ा है। आपको अपनी सोचने की क्षमता को मजबूत करने के लिए स्वस्थ और सक्रीय लाइफस्टाइल अपनानी चाहिए।