LOADING...
खर्ची पूजा 2023: जानिए त्रिपुरा के इस त्योहार की तिथि, महत्व और अनुष्ठान 
खर्ची पूजा से जुड़ी जानकारी

खर्ची पूजा 2023: जानिए त्रिपुरा के इस त्योहार की तिथि, महत्व और अनुष्ठान 

लेखन अंजली
Jun 26, 2023
12:12 pm

क्या है खबर?

भारत के प्रत्येक राज्य की अपनी अनूठी परंपराएं और त्योहार हैं। ऐसा ही एक आकर्षक त्योहार है खर्ची पूजा, जो पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल जुलाई या अगस्त में अमावस्या के आठवें दिन मनाया जाता है। इस साल यह 26 जून से शुरू होगा और 2 जुलाई तक चलेगा। आइए आज इस त्योहार का महत्व, इसके अनुष्ठान और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें जानते हैं।

समय

एक सप्ताह तक चलता है यह त्योहार

यह त्योहार अत्यधिक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है और त्रिपुरी समुदाय के समृद्ध इतिहास और परंपराओं को प्रदर्शित करता है। इस त्योहार की सटीक तारीखें चंद्र कैलेंडर के आधार पर हर साल बदलती रहती हैं। उत्सव आमतौर पर एक सप्ताह तक चलता है और मुख्य अनुष्ठान आठवें दिन होता है। इस भव्य उत्सव को देखने और इसमें भाग लेने के लिए त्रिपुरा और पड़ोसी राज्यों के विभिन्न हिस्सों से भक्त एकत्रित होते हैं।

इतिहास

खर्ची पूजा से जुड़ा इतिहास

किंवदंतियों के मुताबिक, खर्ची पूजा धरती माता को शुद्ध करने का तरीका है। पूजा से पहले की अवधि को धरती मां का मासिक धर्म काल माना जाता है, इसलिए इस दौरान न तो मिट्टी खोदी जाती है और न ही जुताई होती है। बता दें कि त्रिपुरा के लोग मासिक धर्म को अपवित्र मानते हैं और इस दौरान पृथ्वी को भी अशुद्ध माना जाता है, इसलिए इसके बाद पृथ्वी को शुद्ध करने के उद्देश्य से खर्ची पूजा की जाती है।

Advertisement

महत्व

खर्ची पूजा का महत्व

खर्ची पूजा मुख्य रूप से शाही राजवंश की देवी त्रिपुरा सुंदरी को समर्पित है, जिन्हें खर्ची या खारचा बाबा के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि त्रिपुरा सुंदरी भूमि की अधिष्ठात्री देवी हैं और त्रिपुरा के लोगों की रक्षा करती हैं। यह त्योहार अंबु बच्ची या अंबु पेची के 15 दिन बाद होता है। त्रिपुरी लोककथाओं में अंबु पेची देवी मां या पृथ्वी माता के मासिक धर्म का प्रतिनिधित्व करता है।

Advertisement

तरीका

इस त्योहार कैसे मनाया जाता है?

यह उत्सव पवित्र मंत्रों और भजनों के उच्चारण के साथ शुरू होता है। इसके अतिरिक्त खर्ची पूजा का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान चतुर्दश मंडप का निर्माण है, जो बांस और फूस की छत से बनी एक अस्थायी संरचना होती है। यह मंडप त्रिपुरी राजाओं के शाही महल का प्रतीक होता है। इस पूजा का मुख्य आकर्षण प्राचीन उज्जयंत महल से चतुर्दश मंडप तक चौदह देवताओं की भव्य शोभा यात्रा है। इस मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।

Advertisement