अधोमुख वृक्षासन: स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है यह योगासन, जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
क्या है खबर?
व्यस्त जीवनशैली के चलते बहुत से लोगों के लिए स्वास्थ्य का ख्याल रखना थोड़ा मुश्किल हो गया है। ऐसे में योग अपनाकर थोड़े समय में ज्यादा स्वास्थ्य लाभ उठाए जा सकते हैं।
दरअसल, योग के अंतर्गत ऐसे कई प्राणायाम और आसन हैं, जिनके अनगिनत फायदे हैं। ऐसा ही एक आसन है अधोमुख वृक्षासन।
इस योगासन को नियमित रूप से करने से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है। चलिए फिर जानें अधोमुख वृक्षासन से जुड़ी अहम बातें।
अभ्यास
अधोमुख वृक्षासन के अभ्यास का तरीका
इसके लिए सबसे पहले चटाई बिछाएं और दीवार की ओर पैर करके मार्जरासन में बैठ जाएं। इसके बाद अपने दोनों पैरों को फर्श से ऊपर करें और पैरों को सीधा करें।
अब धीरे-धीरे करके दोनों पैरों को दीवार पर ऊंचा करते जाएं। इससे आपके दोनों हाथों पर शरीर का सम्पूर्ण भार लाए। अब अपने हाथों पर पूरे शरीर का संतुलन बनाए और पैरों को दीवार से हटा के सीधा करें।
इसके बाद धीरे-धीरे आसन को छोड़ते हुए सामान्य हो जाएं।
सावधानियां
अधोमुख वृक्षासन के अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
1) अगर शरीर में कमजोरी, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग या बेरी एन्यूरिज्म (दिमाग की नसों से जुड़ी समस्या) आदि से ग्रस्त हैं तो इस योगासन का अभ्यास न करें।
2) 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों और गर्भवती महिलाओं को भी इस योगासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
3) अगर कंधे, भुजाओं, कमर, सिर, पेट या गर्दन में दर्द हो तो भी इस योगासन का अभ्यास करने से बचें।
फायदे
अधोमुख वृक्षासन के अभ्यास से मिलने वाले फायदे
अधोमुख वृक्षासन का नियमित तौर पर अभ्यास कई प्रकार से स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद सिद्ध हो सकता है।
उदाहरण के तौर पर इसका नियमित अभ्यास शरीर को लचीला बनाने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त रीढ़ की हड्डी समेत पाचन तंत्र आदि पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
बात अगर इसके अभ्यास से मिलने वाले मानसिक फायदों की करें तो यह तनाव से आजादी दिलाने में काफी मददगार सिद्ध हो सकता है।
टिप्स
अधोमुख वृक्षासन का अभ्यास करने से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण टिप्स
1) अगर आप इस योगासन का अभ्यास पहली बार करने जा रहे हैं तो विशेषज्ञ की निगरानी में करें।
2) इस योगासन की शुरुआत में संतुलन बनाना मुश्किल हो सकता है, इसलिए दीवार का सहारा लें।
3) अभ्यास के दौरान शरीर का पूरा भार सिर्फ हाथों पर ढलता है इसलिए इसका अभ्यास करते समय जल्दबाजी न करें।
4) इस मुद्रा से सामान्य अवस्था में धीरे-धीरे आएं ताकि गले में झटका न लगे।
5) इसका अभ्यास सुबह खली पेट करें।