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प्लास्टिक के संपर्क में आने से छोटे बच्चों में बढ़ जाता है अस्थमा का खतरा- अध्ययन

प्लास्टिक के संपर्क में आने से छोटे बच्चों में बढ़ जाता है अस्थमा का खतरा- अध्ययन

लेखन सयाली
Jul 07, 2025
12:44 pm

क्या है खबर?

छोटे बच्चों के खिलौनों से लेकर दूध की बोतल तक, सभी में प्लास्टिक मौजूद होता है। इसी बीच एक नए अध्ययन से सामने आया है कि कम उम्र में प्लास्टिक के संपर्क में आने से छोटे बच्चों में अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है। यह एक गंभीर बीमारी है, जिसने भारत के 3 से 20 प्रतिशत बच्चों को अपना शिकार बनाया है। इससे उनके दैनिक जीवन पर असर पड़ता है और उनका संपूर्ण स्वास्थ्य बिगड़ने लगता है।

अध्ययन

3 देशों के शोधकर्ताओं ने मिलकर पूरा किया अध्ययन

हाल ही में यह अध्ययन जर्नल ऑफ एक्सपोजर साइंस एंड एनवायरनमेंटल एपिडेमियोलॉजी नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। इसे पूरा करने के लिए ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका के कई शोधकर्ता एक साथ आए थे। इसमें बचपन यानि 5 साल की उम्र से पहले हानिकारक प्लास्टिक युक्त रसायनों के संपर्क में आने के नैदानिक ​​परिणामों की जांच की गई थी। अध्ययन में मुख्य रूप से प्लास्टिक में पाए जाने वाले फथैलेट्स और बिस्फेनॉल्स नामक रसायनों के दुष्प्रभाव बताए गए थे।

परीक्षण

किस तरह इखट्टा किया गया था अध्ययन के लिए डाटा?

अध्ययन का डाटा 4 पूर्व अध्ययनों से प्राप्त हुआ था। इनमें ऑस्ट्रेलिया का बारवॉन शिशु अध्ययन (BIS), कनाडा का कनाडाई स्वस्थ शिशु अनुदैर्ध्य विकास अध्ययन (CHILD), अमेरिका का स्वास्थ्य परिणाम और पर्यावरण के उपाय (HOME) और बाल स्वास्थ्य परिणामों पर पर्यावरणीय प्रभाव (ECHO) शामिल थे। इस अध्ययन में बच्चों और गर्भवती महिलाओं ने हिस्सा लिया था और 5 साल तक उनके मूत्र के नमूने लिए गए थे। साथ ही उनका कम से कम एक एलर्जी परीक्षण भी किया गया था।

प्रक्रिया

कैसे पूरा किया गया यह अध्ययन?

एंडोक्राइन-डिसरपटिंग रसायन (EDC) की जांच करने के लिए उच्च-प्रदर्शन तरल क्रोमैटोग्राफी-टेंडेम मास स्पेक्ट्रोमेट्री (HPLC-MS) का उपयोग किया गया था। अध्ययन के दौरान प्रतिभागियों से सवाल भी पूछे गए थे और जवाबों को नैदानिक ​​एलर्जी मूल्यांकन के साथ मिलाया गया था। डाटा का मूल्यांकन करके यह पता लगाया गया कि कैसे फथलेट्स और बिसफेनॉल्स का मूत्र स्तर 5 साल की उम्र तक निदान किए गए एलर्जी परिणामों से जुड़ा होता है।

नतीजे

ये रहे इस अध्ययन के नतीजे

इस अध्ययन ने प्लास्टिक से उत्पन्न EDC और बचपन के श्वसन परिणामों के बीच एक संबंध का पता लगाया। इसके लिए 5,306 बच्चों के नमूनों का विश्लेषण किया गया था। अध्ययन के मुताबिक, जन्म से पहले डिब्यूटाइल फथलेट्स (DBP) और ब्यूटाइल बेंजाइल फथलेट (BBzP) के संपर्क से 5 साल से कम उम्र के बच्चों में अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है। इन रसायनों के संपर्क में 2 गुना वृद्धि से अस्थमा के जोखिम में 6-8 प्रतिशत की वृद्धि होती है।

रसायन

क्या होता है प्लास्टिक में मौजूद रसायनों का प्रभाव?

अध्ययन में फथैलेट्स और बिस्फेनॉल्स की बात की गई है। खतरे की बात यह है कि ये रसायन प्लास्टिक, पैकेजिंग, खिलौने, सौंदर्य के उत्पाद और यहां तक कि देखभाल उत्पादों में भी मौजूद होते हैं। ये रसायन छोटे बच्चों में घरघराहट, एक्जिमा, अस्थमा और राइनाइटिस जैसी श्वसन संबंधी परेशानियां पैदा कर सकते हैं। सुरक्षा के लिहाज से आपको अपने बच्चे के लिए प्लास्टिक का सामान नहीं खरीदना चाहिए। इसके बजाय लड़की, धातु या अन्य सामग्रियों से बनी चीजें इस्तेमाल करें।