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जर्मनी के साथ मिलकर 6 पनडुब्बियां बनाएगा भारत, 70,000 करोड़ रुपये के समझौते को मिली मंजूरी
भारत जर्मनी के साथ मिलकर 6 पनडुब्बियां बनाएगा

जर्मनी के साथ मिलकर 6 पनडुब्बियां बनाएगा भारत, 70,000 करोड़ रुपये के समझौते को मिली मंजूरी

लेखन आबिद खान
Aug 24, 2025
11:12 am

क्या है खबर?

'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारत अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने में जुटा हुआ है। इसी कड़ी में भारतीय नौसेना को 6 पनडुब्बियां मिलने जा रही है। इसके लिए जर्मनी से 70,000 करोड़ रुपये के समझौते को मंजूरी मिल गई है। इन पनडुब्बियों को 'प्रोजेक्ट 75 इंडिया' के तहत भारत में ही बनाया जाएगा। जल्द ही मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) इसके लिए जर्मनी की थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (TKMS) के साथ औपचारिक बातचीत शुरू करेगी।

रिपोर्ट

6 महीने में मिल सकती है अंतिम मंजूरी

समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय ने जनवरी में जर्मनी की TKMS के साथ 6 पनडुब्बियां बनाने के लिए MDL को साझेदार चुना था। रक्षा अधिकारियों ने कहा कि रक्षा मंत्रालय और MDL के बीच इस महीने के आखिर तक यह प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है। उम्मीद है कि रक्षा मंत्रालय और भारतीय नौसेना अगले 6 महीने में समझौते पर चर्चा पूरी होने और अंतिम मंजूरी दे सकते हैं।

खासियत

एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन प्रणाली से लैस होंगी पनडुब्बियां

ये सभी पनडुब्बियां एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) से लैस होंगी। इस तकनीक की वजह से ये कम से कम 3 हफ्ते तक पानी के भीतर रह सकती हैं। दरअसल, जो पारंपरिक ईंधन से चलने वाली पनडुब्बियां होती हैं, उन्हें बार-बार सतह पर आकर बैटरी चार्ज करनी पड़ती है। इस वजह से उनका दुश्मन की नजर में आने का खतरा रहता है। AIP तकनीक वाली पनडुब्बियां लंबे समय तक पानी में रह सकती हैं।

पनडुब्बी

कैसी होंगी ये आधुनिक पनडुब्बियां? 

ये पनडुब्बियां HDW क्लास 214 डिजाइन पर आधारित होंगी। इनकी लंबाई 72 मीटर और वजन लगभग 2,000 टन होगा। इसमें 60 प्रतिशत तक स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल होगा, जो आत्मनिर्भर भारत के अभियान को भी आगे बढ़ाएगा। संभावना है कि समझौता होने के 7 साल बाद देश को पहली पनडुब्बी मिल सकती है। इसके अलावा सरकार अगली पीढ़ी की 3 स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के लिए 36,000 करोड़ रुपये के सौदे को भी मंजूरी दे सकती है।

इजरायल

इजरायल से रैम्पेज मिसाइलें खरीदेगा भारत

भारत इजरायल से रैम्पेज मिसाइलें भी खरीदने की तैयारी में है। इन मिसाइलों का इस्तेमाल 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पाकिस्तान के मुरीदके और बहावलपुर के आतंकवादियों ठिकानों पर हमले के लिए किया गया था। 150 से 250 किलोमीटर दूरी तक मार करने वाली ये मिसाइल लक्ष्यों को सटीकता से नष्ट कर सकती है। तेज गति और कम वजन होने की वजह से ये दुश्मनों के रडार से बचने में सक्षम है।

प्लस

न्यूजबाइट्स प्लस

'प्रोजेक्ट 75' साल 2005 में शुरू किया गया था। इसके तहत 23,000 करोड़ रुपये में कलवरी श्रेणी की 6 पनडुब्बियां बनाने का करार फ्रांसीसी नेवल समूह के हुआ था। 2012 में पहली और 2017 तक सभी पनडुब्बियों को बनाया जाना था, लेकिन इस परियोजना में देरी हुई है। फिलहाल इस प्रोजेक्ट की सभी पनडुब्बियां नौसेना को मिल गई हैं। इनमें INS वागशीर, INS कलवारी, INS खंडेरी, INS करंज, INS वेला और INS वागीर शामिल हैं।