अमेरिका: 5-11 साल के बच्चों पर फाइजर वैक्सीन के इस्तेमाल की सिफारिश, जल्द शुरू होगा उपयोग
क्या है खबर?
अमेरिका में पांच से 11 साल तक के बच्चों को कोरोना वायरस वैक्सीन की खुराक मिलने का रास्ता साफ होने वाला है। यहां के मेडिकल पैनल ने बच्चों पर फाइजर की कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल की सिफारिश की है।
स्वतंत्र विशेषज्ञों के इस समूह ने बताया कि बच्चों की सेहत पर इस वैक्सीन के फायदे नुकसान से ज्यादा हैं।
बता दें कि कंपनी ने इसी महीने 5-11 साल के बच्चों पर वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी मांगी थी।
प्रक्रिया
अब आगे क्या?
विशेषज्ञ समिति की सिफारिश मिलने के बाद फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) इसे जल्द ही इस्तेमाल की मंजूरी दे सकता है।
माना जा रहा है कि अगले महीने के मध्य से अमेरिका में 5-11 साल के करीब 2.8 करोड़ बच्चों को वैक्सीन मिलनी शुरू हो जाएंगी।
कुछ विशेषज्ञों ने वैक्सीन के इस्तेमाल की सिफारिश करते हुए आगाह किया कि बच्चों में वैक्सीन को अनिवार्य नहीं किया जाना चाहिए और खुराक लगवाने का फैसला परिवारों पर छोड़ा जाना चाहिए।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का क्या कहना है?
सेंटर ऑफ डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (CDC) से जुडीं अमांडा कॉह्न ने कहा, "जब मैं सुनती हूं कि बच्चों को ICU में रखा जा रहा है और कोरोना के कारण बच्चों की मौत हो रही है तो इस वैक्सीन के फायदे इसके नुकसान से ज्यादा है।"
विशेषज्ञ समूह में शामिल पॉल ऑफिट ने कहा कि जिन बच्चों को महामारी का ज्यादा खतरा है, उन्हें इस वैक्सीन से फायदा होगा। कम खुराक के कारण इसके साइड इफेक्ट भी कम होंगे।
कोरोना संकट
संक्रमण के कारण अमेरिका में हुई है करीब 100 बच्चों की मौत
इससे पहले FDA के शीर्ष वैक्सीन वैज्ञानिक पीटर मार्क्स ने कहा था कि बच्चे महामारी के प्रकोप से बच नहीं पाएंगे।
उन्होंने जानकारी दी थी कि अमेरिका में इस आयुवर्ग के करीब 20 लाख बच्चे संक्रमित हुए हैं और 8,000 से ज्यादा को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिनसें से एक तिहाई को ICU की जरूरत पड़ी।
उन्होंने बताया कि 5-11 साल के करीब 100 बच्चों को कोरोना संक्रमण के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है।
क्लिनिकल ट्रायल
90.7 फीसदी प्रभावी साबित हुई फाइजर की वैक्सीन
फाइजर ने FDA को बताया था कि उसकी वैक्सीन लक्षण वाले संक्रमण को रोकने में 90.7 फीसदी प्रभावी साबित हुई है।
FDA के वैज्ञानिक ने बताया कि संक्रमण की मौजूदा दर पर इस वैक्सीन से जितने बच्चों में साइड इफेक्ट्स दिखने की आशंका है, उससे बड़ी संख्या में यह कोरोना संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती होने से बचाएगी।
वहीं कई विशेषज्ञों ने वैक्सीन के गंभीर साइड इफेक्ट्स का अनुमान लगाने के लिए और अधिक आंकड़ों की जरूरत बताई है।
जानकारी
सितंबर में आए थे बच्चों पर ट्रायल के नतीजे
सितंबर में क्लिनिकल ट्रायल के नतीजे घोषित करते हुए फाइजर ने बताया था कि उसकी कोरोना वैक्सीन 5-11 साल की उम्र के बच्चों में पूरी तरह सुरक्षित पाई गई है और इससे बच्चों में इम्युनिटी बढ़ी है।"
कंपनी ने अमेरिका, फिनलैंड, पोलैंड और स्पेन में 5-11 साल की उम्र के 4,500 बच्चों को 10 माइक्रोग्राम की खुराक देकर ट्रायल किया था। ट्रायल के दौरान बच्चों में मामूली साइड इफेक्ट्स नजर आए, जो सामान्य इलाज के बाद ठीक हो गए।
तकनीक
mRNA तकनीक से बनी है वैक्सीन
फाइजर ने जर्मन कंपनी बायोएनटेक के साथ मिलकर mRNA तकनीक पर अपनी वैक्सीन तैयार की है।
इस तकनीक में वायरस के जिनोम का प्रयोग कर कृत्रिम RNA बनाया जाता है जो सेल्स में जाकर उन्हें कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन बनाने का निर्देश देता है।
इन स्पाइक प्रोटीन की पहचान कर सेल्स कोरोना की एंटीबॉडीज बनाने लग जाती हैं।
कई देशों में 12 साल से अधिक उम्र के लोगों पर फाइजर की वैक्सीन पहले से इस्तेमाल हो रही है।