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अस्थमा रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद हैं ये योग मुद्राएं, ऐसे करें अभ्यास
अस्थमा रोगियों के लिए बेहतरीन योग हस्त मुद्राएं

अस्थमा रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद हैं ये योग मुद्राएं, ऐसे करें अभ्यास

लेखन अंजली
Jul 05, 2021
06:45 am

क्या है खबर?

अस्थमा सांस से जुड़ी एक बीमारी है जिसमें शरीर के वायुमार्ग की अंदरूनी दीवारों में सूजन आ जाती है और ये सिकुड़ने लगती हैं। इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है। इस बीमारी से बचाने और इसके जोखिमों को कम करने में योग हस्त मुद्राओं का अभ्यास एक कारगर उपाय हो सकता है। आइए आज आपको कुछ ऐसी खास योग हस्त मुद्राओं के अभ्यास का तरीका बताते हैं जो अस्थमा में लाभदायक हैं।

#1

अस्थमा मुद्रा

सबसे पहले योगा मैट पर पद्मासन की मुद्रा में बैठें। अब अपनी दोनों हथेलियों को आपस में मिलाएं और फिर अपने दोनों हाथों की मध्य उंगलियों को बीच से मोड़ते हुए आपस में ऐसे मिलाएं कि दोनों के नाखून एक-दूसरे से सटें। इसके बाद दोनों मध्य उंगलियों की स्थिति को बरकरार रखते हुए उनसे एक-दूसरे पर दबाव डालें। इस दौरान हथेलियां आपस में नहीं चिपकनी चाहिए। इस मुद्रा को 8-10 मिनट तक बनाए रखने की कोशिश करें।

#2

पृथ्वी मुद्रा

पृथ्वी मुद्रा के अभ्यास के लिए सबसे पहले योगा मैट पर सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब सामान्य रूप से सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को अपने दोनों घुटनों पर रखें। इसके बाद अपने दोनों हाथों की अनामिका उंगली के ऊपरी हिस्से को अंगूठे के ऊपरी हिस्से से मिलाएं और बाकी उंगलियों को सीधा रखें। अब अपनी दोनों आंखों को बंद करें और अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें। 30 से 45 मिनट तक इस मुद्रा में रहें।

#3

ब्रोन्कियल मुद्रा

सबसे पहले योगा मैट पर पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब अपनी हथेलियों को अच्छे से खोलकर अपनी मध्य उंगली को अंगूठे के सबसे ऊपरी सिरे से मिलाएं। इसके बाद अपनी अनामिका उंगली (रिंग फिंगर) को अंगूठे के बीच वाले जोड़ पर रखें और फिर कनिष्ठा उंगली (छोटी उंगली) को अपने अंगूठे की जड़ पर लगाएं। इस दौरान अपनी तर्जनी उंगली (इंडेक्स फिंगर) को बाहर की ओर फैलाएं। करीब पांच मिनट तक इस मुद्रा का अभ्यास करें।

#4

सूर्य मुद्रा

इस योग मुद्रा के अभ्यास के लिए सबसे पहले योगा मैट पर किसी आरामदायक मुद्रा में बैठ जाएं। इसके बाद अपने दोनों हाथों को सीधा करके अपने घुटनों पर रखें। इस दौरान आपकी हथेलियां ऊपर की ओर होनी चाहिए। अब अपने दोनों हाथों के अंगूठों को अनामिका उंगलियों (रिंग फिंगर) के ऊपर रखें। बाकी सभी उंगलियां सीधी रखें। अंत में अपनी दोनों आंखों को बंद करें और अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें। 15 मिनट तक इस मुद्रा में रहें।