युवाओं में बढ़ रहा है इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का खतरा, जानिए बीमारी से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) एक बीमारी है, जो बड़ी आंत को प्रभावित करती है। अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर 10 में से 1 व्यक्ति को IBS है। इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को कई तरह की पाचन संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है और अगर लंबे समय तक इस बीमारी को हल्के में लिया जाए तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। आइए इस बीमारी से जुड़ी महत्वूर्ण बातें जानते हैं।
IBS होने के क्या कारण है?
युवाओं को इस बीमारी का जोखिम इसलिए होता है क्योंकि वे जंक फूड का सेवन ज्यादा करते हैं, जो अधिक मसालेदार, तैलीय, अतिरिक्त शर्करा, नमक, वसा और आर्टिफिशियल तत्वों से युक्त होते हैं। इन खाद्य पदार्थों में न केवल पोषण की कमी होती है, बल्कि ये आंत के बैक्टीरिया के संतुलन को भी प्रभावित कर सकते हैं और इससे IBS होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अतिरिक्त तनाव और गतिहीन जीवनशैली भी इस बीमारी का कारण हो सकती है।
IBS के लक्षण
IBS से ग्रस्त व्यक्ति को पेट में दर्द होना, मरोड़ उठना, सूजन, गैस, कब्ज और डायरिया जैसी परेशानियों से जूझना पड़ता है। अगर स्थिति गंभीर हो जाए तो मल त्यागने में भी दिक्कत होने लगती है। इसके अतिरिक्त खाने की इच्छा कम होने लगती है और मतली, उलटी जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। यहां जानिए पेट के दर्द से राहत दिलाने में प्रभावी घरेलू नुस्खे।
IBS का कैसे पता लगाया जा सकता है?
आपको IBS है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। वह कुछ शारीरिक जांच करके आपको बताएंगे कि आपको यह बीमारी है या नहीं। डॉक्टर आपसे बीमारी से जुड़े कुछ मुख्य लक्षणों और आपकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछ सकते हैं। इसके अलावा डॉक्टर आपको ब्लड टेस्ट, यूरीन टेस्ट, अल्ट्रासाउंड और CT स्कैन आदि कराने की सलाह भी दे सकते हैं।
IBS से बचाव के उपाय
स्वस्थ जीवनशैली इस समस्या से आपको बचाकर रख सकती है, इसलिए बेहतर होगा कि आप संतुलित भोजन के साथ-साथ ताजे फलों और पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करें। नियमित रूप से एक्सरसाइज भी करें और कुछ भी खाने से पहले हाथों को साफ कर लें। इसके अतिरिक्त तनाव को नियंत्रित करने की कोशिश करें। इसके लिए योग और मेडिटेशन को अपने दिनचर्या में शामिल किया जा सकता है।