इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम का खतरा कम कर सकते हैं ये योगासन, ऐसे करें अभ्यास
क्या है खबर?
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) एक बीमारी है जो बड़ी आंत को प्रभावित करती है।
इससे ग्रस्त व्यक्ति को पेट में दर्द होना, मरोड़ उठना, सूजन, गैस, कब्ज और डायरिया जैसी परेशानियों से जूझना पड़ता है और अगर लंबे समय तक इसे हल्के में लिया जाए तो यह बीमारी गंभीर हो सकती है।
आइए आज हम आपको कुछ ऐसे योगासनों के अभ्यास का तरीका बताते हैं जो इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं।
#1
परिघासन
परिघासन के लिए पहले योगा मैट पर घुटनों के बल खड़े हो जाएं और उनमें थोड़ी दूरी बना लें।
अब अपने दाएं पैर को दाईं ओर फैलाएं और सांस भरते हुए अपने बाएं हाथ को आसमान की ओर सीधा उठाएं, फिर सांस छोड़ते हुए दाईं ओर झुकें और अपने दाएं हाथ को अपने दाएं पैर के ऊपर रखें।
इस मुद्रा में आपके पूरे शरीर का झुकाव दाईं ओर होना चाहिए। कुछ देर ऐसे रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।
#2
भुजंगासन
भुजंगासन के अभ्यास के लिए सबसे पहले योगा मैट पर अपने हाथों को अपने कंधों के नीचे रखकर पेट के बल लेट जाएं।
अब अपने हाथों से दबाव देते हुए अपने शरीर को जहां तक संभव हो सके, उठाने की कोशिश करें। इस दौरान सामान्य तरीके से सांस लेते रहें।
इसके बाद कुछ देर इसी मुद्रा में बने रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं। इस योगासन को कई बार दोहराएं।
#3
अधोमुख श्वानासन
अधोमुख श्वानासन के लिए पहले योगा मैट पर वज्रासन की मुद्रा में बैठें।
अब सामने की तरफ झुकते हुए अपने हाथों को जमीन पर रखें और गहरी सांस लेते हुए कमर को ऊपर उठाएं। इस दौरान घुटनों को सीधा करके सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
इस योगासन में शरीर का पूरा भार हाथों और पैरों पर होना चाहिए और शरीर का आकार 'V' जैसा नजर आना चाहिए। कुछ मिनट इसी अवस्था में रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।
#4
हलासन
हलासन का अभ्यास करने के लिए पहले योगा मैट पर पीठ के बल सीधे लेट जाएं, फिर अपने हाथों को शरीर से सटाकर रखें।
अब सांस लेते हुए पैरों को 90 डिग्री तक ऊपर उठाएं और सांस छोड़ते हुए टांगों को धीरे-धीरे सिर के ऊपर से पीछे की ओर ले जाएं। इस दौरान हाथों को जमीन पर सीधा ही रखें।
इसके बाद सांस लेते हुए धीरे-धीरे वापस प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।