जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूक करने की कोशिश करती हैं ये 5 किताबें
जलवायु परिवर्तन आज हमारे ग्रह के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है। इसे समझने और इससे निपटने के लिए हमें सही जानकारी की जरूरत है। इस लेख में हम पांच ऐसी किताबों की चर्चा करेंगे, जो जलवायु परिवर्तन पर जागरूकता बढ़ाने में सहायक हो सकती हैं। इन किताबों को पढ़कर आप न केवल इस अहम मुद्दे को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे बल्कि अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव लाकर समाधान के लिए प्रेरित भी होंगे।
द ग्रेट डिरेंजमेंट: क्लाइमेट चेंज एंड द अनथिंकेबल
अमिताव घोष की यह किताब जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर गहराई से विचार करती है। घोष साहित्य, इतिहास और राजनीति के स्तर पर हमारी अक्षमता की जांच करते हैं कि हम जलवायु परिवर्तन को कैसे समझने में विफल रहे हैं। यह किताब बताती है कि कैसे जलवायु संकट ने साहित्य और इतिहास को सरल बना दिया है और राजनीति को व्यक्तिगत नैतिक मूल्यांकन का मामला बना दिया है, जो सामूहिक कार्रवाई के बजाय होता है।
ग्रीन वॉर्स
बहार दत्त की यह किताब एक पर्यावरण पत्रकार और संरक्षणवादी के रूप में उनके अनुभवों पर आधारित है। यह अरुणाचल प्रदेश से लेकर आर्कटिक तक, गोवा से लेकर गंगोत्री तक, अवैध खनन से लेकर जलवायु परिवर्तन तक की बड़ी कहानियों का अनुसरण करती है। यह विकासशील अर्थव्यवस्था और पर्यावरण संरक्षण के बीच तनाव को उजागर करती है और पूछती है कि क्या विकास और पर्यावरण हमेशा संघर्षरत रहेंगे या उनके बीच सामंजस्य संभव है।
द क्लाइमेट सॉल्यूशन: इंडिया'स क्लाइमेट-चेंज क्राइसिस एंड व्हाट वी कैन डू अबाउट इट
मृदुला रामेश की यह किताब दो भागों में विभाजित है, जिसमें समझना और निवारण तरीके शामिल हैं। इसमें दशकों पुराने इतिहास को बताया गया है कि कैसे जलवायु योद्धाओं ने स्थायी तरीकों को अपनाकर इसके प्रभावों को उलट दिया। यह भी बताया गया कि महिलाएं गर्म जलवायु से प्रभावित होती हैं और भारत की सुरक्षा पर इसका क्या असर हो सकता है। इसमें जलवायु परिवर्तन के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने के सुझाव भी दिए गए हैं।
अनरुली वाटर्स
सुनील अमृत की इस किताब में एशिया का इतिहास वर्षा, नदियों, तटों और समुद्रों की कहानियों द्वारा पुनर्कल्पित किया गया है। इसमें बताया गया कि पानी के सपनों और डर ने राजनीतिक स्वतंत्रता और आर्थिक विकास को कैसे आकार दिया तथा प्रकृति बदलने के प्रयास किए गए। हिमालय में सैकड़ों बांधों का निर्माण करने वाले प्रयासों और उनके पर्यावरणीय प्रभावों पर भी विस्तार से चर्चा होती है, जिससे जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर जागरूकता बढ़ती है।
आई टू हैड ए ड्रीम
यह आत्मकथा मुख्य रूप से भारत की व्हाइट रेवोल्यूशन (दुग्ध क्रांति) के वर्गीज कुरियन की कहानी बताती है। इसमें स्थायी दुग्ध खेती और ग्रामीण जीवन पर इसके सकारात्मक प्रभावों पर भी प्रकाश डाला गया है। इसमें बताया गया कि किसानों ने मजबूत सहकारी समितियां बनाईं, जिससे दूध उत्पादन बढ़ा और भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन पाया। इस किताब को पढ़कर आप जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को भी समझ सकते हैं।