'चाचा चौधरी' से लेकर 'चंपक' तक, ये पांच 5 कॉमिक्स हैं बहुत मशहूर
90 के दशक के बच्चे टीवी देखने की बजाय कॉमिक बुक पढ़ना ज्यादा पसंद करते थे। उसका कारण था कि टीवी पर बच्चों को पसंद आने वाले प्रोग्राम बहुत कम आते थे। ऐसे में कॉमिक्स भी उनके मनोरंजन का एक साधन थी। उस समय पांच देसी कॉमिक्स का काफी बोलबाला हुआ करता था और उनमें से कुछ तो आज भी मशहूर हैं। चलिए फिर आज पांच प्रसिद्ध देसी कॉमिक्स के बारे में जानते हैं।
चाचा चौधरी
90 के दशक की कॉमिक बुक चाचा चौधरी इतनी मशहूर थी कि बाद में इस पर एक टीवी शो भी बनाया गया था, जो एक लोकप्रिय शो बनकर उभरा। यह कॉमिक बुक मुख्य रूप से अपने चरित्र छोटे कद वाले अंकल यानी चाचा चौधरी और उनके साथी साबू पर आधारित है। वहीं, चाचा चौधरी और चाची, चाचा चौधरी और राका, चाचा चौधरी और उड़ने वाला बिच्छु आदि इस कॉमिक बुक के की पार्ट बन चुके हैं।
तेनालीराम
तेनालीराम ईमानदारी पर आधारित कॉमिक्स में से एक थी, जिसने जीवन से जुड़े कई महत्वपूर्ण सबक सिखाए। यह कॉमिक बुक राजा कृष्णदेवराय के दरबार में सलाहकार बनने वाले एक कवि तेनालीराम पर आधारित थी। वह अपनी बुद्धि और मूल्यों का उपयोग करके विभिन्न मुद्दों को आसानी से हल कर देता था। इस कॉमिक ने 16वीं सदी के दक्षिण भारत की कहानियों को दिखाया और जल्दी ही बच्चों के लिए एक लोकप्रिय कार्टून में परिवर्तित हो गई।
अकबर-बीरबल
अकबर बीरबल की कहानियां या फिर अकबर बीरबल की नोंक-झोंक नाम की कॉमिक बुक भी बच्चों के बीच काफी मशहूर थी। इस कॉमिक ने हमें हास्य के साथ ज्ञान की कई बातें बताईं। खासतौर से, अकबर के दरबार में अन्य मंत्रियों को पछाड़ने की बीरबल की कला ने लोगों को हंसने पर मजबूर किया। इसके अतिरिक्त, कठिन समस्याओं को आसानी से सुलझाने के लिए बीरबल की तरकीबों ने भी काफी प्रभावित किया।
पंचतंत्र
पंचतंत्र पशुओं के चरित्रों वाली कॉमिक बुक थी, जो छोटी उम्र के बच्चों को आज भी आकर्षित करती है। इस कॉमिक बुक में बंदरों और हाथियों से लेकर मगरमच्छों और शेरों तक, पूरा पशु साम्राज्य बच्चों का एक दोस्त सा बन जाता है। उस समय में यह इतनी लोकप्रिय कॉमिक बुक थी कि आज भी 90 के दशक के बच्चों को इसके चरित्र मगरमच्छ, बंदर, हाथी और गौरैयों के किस्से याद होंगे।
चंपक
चंपक न सिर्फ अद्भुत कहानियों वाली कॉमिक बुक थी, बल्कि हास्य किस्सों से ज्ञान देने का भी जरिया थी। इसमें जानवरों की कहानियों को दिखाया गया है, जिन्हें हम अपने दैनिक जीवन में अक्सर मिलते हैं। इसके अतिरिक्त, इसमें कहानियों के साथ रंगीन चित्र भी थे, जिनमें से कुछ तो अभी भी 90 के दशक के बच्चों को याद होंगे। दिलचस्प बात यह है कि आप अभी भी ऑनलाइन चंपक पढ़ सकते हैं।