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जलवायु परिवर्तन: हिमालय पिघलने के कारण 16 एशियाई देशों और 1 अरब लोगों पर संकट
जलवायु परिवर्तन की वजह से हिमालय क्षेत्र की 10 नदियों पर गंभीर संकट का खतरा है

जलवायु परिवर्तन: हिमालय पिघलने के कारण 16 एशियाई देशों और 1 अरब लोगों पर संकट

लेखन आबिद खान
May 25, 2023
10:45 am

क्या है खबर?

एशिया के 16 देशों में रहने वाले लोग जलवायु परिवर्तन से उपजे पानी और ऊर्जा संकट की वजह से गंभीर संकट में हैं। जलवायु परिवर्तन से इन देशों में पानी और ऊर्जा की आपूर्ति पर भारी असर पड़ता है। चाइना वॉटर रिस्क थिंक टैंक के नेतृत्व में किए गए एक शोध में ये बात सामने आई है। शोध में कहा गया है कि हिंदू कुश-हिमालयी जल प्रणाली में बदलाव एशिया के लिए चिंता का बड़ा कारण है।

खतरा

एशिया की 10 नदियों पर खतरा

शोध में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से एशिया की 10 नदियों पर गंभीर खतरा है। ये नदियां हिंदू कुश-हिमालयी क्षेत्र में बहती हैं। देशों के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में इन नदियों का 35,000 करोड़ रुपये का योगदान है। एक अरब से ज्यादा लोग इन नदियों पर आश्रित हैं। इन नदियों में गंगा, ब्रह्मपुत्र, चीन में बहने वाली यांग्त्जी और यलो नदी और अन्य देशों में बहने वाली मेकांग और सालवीन नदी शामिल हैं।

बिजली

बिजली निर्माण इकाईयों ने बढ़ाया जोखिम

रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ते तापमान और ग्लेशियर्स के पिघलने की वजह से ये क्षेत्र पहले से ही खतरे का सामना कर रहा है। इन क्षेत्रों में स्थित नदियों पर बिजली निर्माण इकाईयों ने खतरे को और बढ़ा दिया है। इन नदियों से 16 एशियाई देशों में बांध से बन रही कुल बिजली के तीन-चौथाई हिस्से का उत्पादन होता है। करीब 300 गीगावॉट बिजली उत्पादन करने वाली ये इकाईयां गंभीर जोखिम वाले क्षेत्रों में हैं।

ग्लेशियर

ग्लेशियर्स का पिघलना चिंता का विषय

शोधकर्ताओं ने हिमालय में जलवायु परिवर्तन की वजह से ग्लेशियर्स के पिघलने पर चिंता जताई है। पिछले साल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), इंदौर द्वारा किए गए एक शोध में कहा गया था कि हिमालय के ग्लेशियर पिघलने से नदियों का जलस्तर बढ़ सकता है, जो मैदानी इलाकों के करीब एक अरब लोगों को प्रभावित कर सकता है। अगर इस सदी ग्लेशियर इसी तरह पिघलते रहे तो इस क्षेत्र से पानी की आपूर्ति पूरी तरह बंद हो सकती है।

बर्फ

हिमाचल में कम हो रही बर्फ की चादर 

हिमाचल के स्टेट सेंटर ऑफ क्लाइमेट द्वारा जारी एक रिपोर्ट में भी चिनाब, रावी और सतलुज बेसिन में बर्फ की चादर कम होने का खुलासा हुआ है। 2022-23 के अक्टूबर के दौरान 2021-22 के मुकाबले बर्फ की चादर चिनाब में 36, रावी में 54 और सतलुज बेसिन में 27 फीसदी तक कम हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण सर्दियों के मुकाबले गर्मियों की शुरुआत में बर्फ की चादर में बढ़ोतरी हुई है।