मकर संक्रांति के बारे में 10 महत्वपूर्ण और दिलचस्प बातें
क्या है खबर?
सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद मकर संक्रांति मनाई जाती है।
यह त्योहार सर्दियों के महीनों के अंत और बसंत के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है।
इसके अलावा यह नई फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक भी माना गया है, इसलिए कुछ लोग इसे फसल उत्सव भी कहते हैं।
आइए आज मकर संक्रांति के बारे में 10 ऐसे रोचक तथ्य जानते हैं, जो आपको जरूर पता होने चाहिए।
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सौर चक्र पर आधारित है यह त्योहार
1) मकर संक्रांति हिंदू धर्म के उन कुछ त्योहारों में से एक है, जो सौर चक्र के आधार पर मनाए जाते हैं। अधिकांश हिंदू त्योहार चंद्र चक्र के आधार पर बनाए जाते हैं। यह त्योहार हर साल माघ महीने में मनाया जाता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार जनवरी महीने से मेल खाता है।
2) यह खरमास/मलमास (14 दिसंबर से 13 जनवरी) की समाप्ति और सूर्य के राशि चक्र में परिवर्तन का प्रतीक है।
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क्या है तिल के बीज और पतंग का महत्व?
3) हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमराज ने तिल के बीज को आशीर्वाद दिया था और तब से यह अमरता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए तिल का विशेष महत्व है और इसे सर्वश्रेष्ठ अनाज के रूप में पूजा जाता है।
4) इस त्योहार के लिए पतंग महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह त्योहार बसंत की शुरुआत का प्रतीक है। इसका अर्थ है कि लोग अब अधिक समय बाहर बिता सकते हैं। पतंग उड़ाना हमेशा से मकर संक्राति की परंपरा रही है।
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क्यों किया जाता है गुड़ का सेवन?
5) मकर संक्रांति के मौके पर चावल और गुड़ का इस्तेमाल मिठाई और व्यंजन बनाने में किया जाता है। इन व्यंजनों को भगवान को चढ़ाया जाता है। चावल को समृद्धि का प्रतीक भी माना गया है।
6) ऐसा माना जाता है कि सूर्य देव की अपने पुत्र शनि से कभी नहीं बनी थी, लेकिन मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव उन्हें क्षमा कर देते हैं। इसलिए यह त्योहार क्षमा करने और पिछले झगड़ों को भूलने के लिए भी है।
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दूध उबालने और गंगा नदी में स्नान की रस्म क्यों होती है?
7) मकर संक्रांति पर चावल और दूध को उबलते और बर्तन से बाहर निकलते देखना एक अच्छा शगुन और भविष्य की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इस दिन ऐसा किया जाता है।
8) हिंदू मकर संक्रांति को सुख और समृद्धि का प्रतीक मानते हैं और गंगा में स्नान करना भी शुभ होता है। इसलिए भक्त खुद को पापों से मुक्त करने के लिए राज्यों से बहने वाली पवित्र नदियों में डुबकी लगाकर मकर संक्रांति मनाते हैं।
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त्योहार का महाभारत और गाय की पूजा से है ये कनेक्शन
9) पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत में भीष्म पितामह ने अर्जुन द्वारा तैयार की गई बाणों की शय्या पर अपनी अंतिम सांस लेने के लिए मकर संक्रांति की सुबह का इंतजार किया था।
10) इसके अलावा भगवान शिव ने नंदी (बैल) को खेतों की जुताई में लोगों की मदद करने का आदेश दिया था क्योंकि उन्हें जीवित रहने के लिए अधिक अनाज की आवश्यकता थी। इसी कारण इस दिन गाय को भी पूजा जाता है।