उत्तर प्रदेश: पति के साथ 'सती' होने जा रही थी बुज़ुर्ग महिला, पुलिस ने रोका
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में एक हैरान करने वाला मामला देखा गया है। यहाँ एक बुज़ुर्ग महिला पति की मौत के बाद श्मशान पहुँच गई और पति के बगल में दूसरी चिता लगाने के लिए कहा। महिला का कहना था कि वह अपने पति के साथ ही सती होना चाहती है। महिला जब काफ़ी समझाने के बाद भी नहीं मानी तो पुलिस को बुलाया गया। मौक़े पर पहुँची पुलिस ने महिला को सती होने से बचाया।
पति के साथ सती होने के लिए अड़ गई महिला
प्राप्त जानकारी के अनुसार बांदा जिले के शहबाजपुर गाँव निवासी मंगू यादव (80) की सोमवार की रात को बीमारी के चलते मौत हो गई थी। मंगू की 75 वर्षीया पत्नी सावित्री ने पति की मौत के बाद उन्ही के साथ सती होने का ऐलान किया। सुबह जब परिजन मंगू का अंतिम संस्कार करने श्मशान पहुँचे तो सावित्री भी पति के साथ सती होने के लिए अड़ गई। महिला के सती होने की सूचना मिलते ही इलाक़े में सनसनी फैल गई।
महिला को नज़रबंद करके किया गया अंतिम संस्कार
इस घटना की जानकारी मिलते ही SDM अवधेश श्रीवास्तव, तहसीलदार राजीव निगम और नरैनी कोतवाली प्रभारी रविंद्र तिवारी सहित कई थाने की फोर्स मौक़े पर पहुँच गई। सती की तैयारी कर रही महिला को किसी तरह समझाया गया। हालाँकि इसके बाद भी महिला जब नहीं मानी तो उसे नज़रबंद करके मंगू का अंतिम संस्कार गाँव से बाहर किया गया। पुलिस ने बताया कि मंगू काफ़ी समय से बीमार था और उसका इलाज चल रहा था।
बांदा जिले के SP गणेश प्रसाद का बयान
"सती प्रथा कानून के ख़िलाफ़ है। महिला ने सती होने के लिए अपनी इच्छा जताई, लेकिन सती होने का प्रयास नहीं किया, अन्यथा उसके ख़िलाफ़ कानूनी कार्यवाई की जाती। महिला का इस समय अस्पताल में इलाज चल रहा है और गाँव की स्थिति सामान्य है।"
जानें क्या है सती प्रथा
'सती प्रथा' एक प्राचीन हिंदू परंपरा थी, जिसके अंतर्गत किसी भी पुरुष की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी स्वेच्छा से जलती चिता में कूदकर आत्महत्या कर लेती थी। ब्रह्म समाज के संस्थापक राजा राम मोहन राय ने समाज की इस बुराई के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई और इस रुढ़ीवादी परंपरा को ख़त्म करने के लिए अंग्रेज़ी हुकूमत से लड़ाई लड़ी। इसके बाद 1829 में अंग्रेज़ी हुकूमत ने सती प्रथा को गैरकानूनी घोषित कर दिया।