#NewsBytesExplainer: उत्तराखंड में हिंदू संगठनों की धमकी के बाद मुस्लिमों के इलाका छोड़ने का मामला क्या है?
उत्तराखंड में लव जिहाद से संबंधित आरोपों के बाद तनाव बढ़ता जा रहा है। पुरोला में मुस्लिम व्यापारियों को 15 जून तक दुकान खाली करने की चेतावनी दी गई है। मुस्लिम व्यापारियों की दुकान पर इस संबंध में नोटिस भी चिपकाया गया है। इसके बाद मुस्लिम व्यापारी और परिवार इलाका छोड़कर जाने लगे हैं। पुलिस और प्रशासन पूरी तरह निष्क्रिय नजर आ रहे हैं और उन्होंने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। आइए जानते हैं यह पूरा मामला क्या है।
कैसे हुई विवाद की शुरुआत?
दरअसल, उत्तरकाशी जिले की पुरोला नगर पंचायत में 26 मई को 2 युवकों पर एक स्थानीय दुकानदार की नाबालिग बेटी को बहला-फुसलाकर भगाने का आरोप लगा। इसमें एक युवक मुस्लिम और दूसरा हिंदू था और दोनों उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद के रहने वाले थे। इसकी जानकारी मिलते ही हिंदू संगठनों के लोग इकट्ठा हो गए और नाबालिग को "बचा लिया"। इसके बाद कई शहरों में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए।
विरोध-प्रदर्शन में क्या हुआ?
मामला सामने आने के बाद उत्तराखंड के कई शहरों में हिंदू संगठनों ने विरोध-प्रदर्शन किए। पुरोला, बड़कोट, गंगोत्री और यमुनोत्री में बाजार बंद रखे गए। यमुनोत्री और गंगोत्री में लोगों ने प्रशासन को ज्ञापन सौंप गैर-हिंदू लोगों के यमुना और गंगा घाटी में प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की और उनका सख्त सत्यापन करके ही प्रवेश देने की मांग की। प्रदर्शन के दौरान मुस्लिम व्यापारियों की दुकानों के बैनर हटाने की खबरें भी सामने आईं।
पुरोला में मुस्लिमों को दुकान खाली करने की चेतावनी
घटना के बाद देवभूमि रक्षा संगठन ने 4 जून की रात को पुरोला में मुस्लिम व्यापारियों की दुकानों के बाहर पोस्टर चिपकाए। इसमें 15 जून से पहले मुस्लिम व्यापारियों को दुकान खाली करने की चेतावनी दी गई। पोस्टर में लिखा था, "लव जिहादियों को सूचित किया जाता है कि 15 जून को होने वाली महापंचायत से पूर्व अपनी दुकानें खाली कर दें, यदि तुम्हारे द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है तो (क्या होगा) वो वक्त पर निर्भर करेगा।"
चेतावनी के बाद क्या हुआ?
हिंदू संगठनों ने मुस्लिम व्यापारियों की कई दुकानों पर काले रंग से क्रॉस भी बनाए। इसके बाद से मुस्लिम समुदाय में डर का माहौल है। 14 मुस्लिम व्यापारियों ने दुकानें खाली कर दी हैं, जबकि 12 ने पुरोला शहर ही छोड़ दिया है। ये लोग पिछले कई सालों से यहां रह रहे थे और व्यापार कर रहे थे। रविवार को 42 सालों से पुरोला में कपड़ों का व्यापार कर रहे शकील एंड संस ने भी अपनी दुकान खाली कर दी।
भाजपा के मुस्लिम नेताओं ने भी छोड़ा पुरोला
तनाव के कारण भाजपा के मुस्लिम नेता और कार्यकर्ता भी पुरोला छोड़ रहे हैं। उत्तरकाशी से भाजपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष मोहम्मद जाहिद ने भी बीते दिनों परिवार के साथ पुरोला छोड़ दिया। जाहिद ने कहा कि उन्होंने 3 साल पहले भाजपा की सदस्यता ली थी और वह 25 साल से यहीं रह रहे थे। लोगों को कहना है कि जब यहां सत्ताधारी पार्टी के नेता सुरक्षित नहीं है तो फिर वे कैसे यहां रह सकते हैं।
मामले पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का क्या कहना है?
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि लव जिहाद और लैंड जिहाद को लेकर प्रदेश सरकार पूरी तरह से सख्त है और देवभूमि में इस तरीके की हरकतों को नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा, ''पुलिस को लव जिहाद के मामलों में दोषियों से सख्ती से निपटने के निर्देश दिए गए हैं। उन्हें सत्यापन अभियान चलाने के लिए कहा गया है, ताकि बाहर से आने वाले और यहां के निवासियों के बारे में पता लगाया जा सके।"
आगे क्या?
उत्तराखंड में लव जिहाद की घटनाओं पर स्थानीय संगठनों ने 15 जून को महापंचायत बुलाई है। मुस्लिम समाज ने भी 18 जून को देहरादून में महापंचायत का ऐलान किया है। देहरादून के पलटन बाजार की जामा मस्जिद के मौलाना और शहर काजी मोहम्मद अहमद कासमी की अध्यक्षता में उलेमाओं की बैठक होगी। कहा जा रहा है कि इसमें पलायन की स्थिति पर चर्चा की जाएगी। आगे क्या होगा, ये इन पंचायतों में होने वाले फैसलों पर निर्भर करेगा।