
#NewsBytesExplainer: कौन हैं कश्मीरी अलगाववादी यासीन मलिक और क्यों उन्हें फांसी देने की मांग की गई?
क्या है खबर?
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने दिल्ली हाई कोर्ट से आतंकी फंडिंग के मामले में दोषी पाए गए जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) प्रमुख यासीन मलिक की उम्रकैद की सजा को फांसी में बदलने की मांग की है।
हाई कोर्ट ने मामले में मलिक को 9 अगस्त को पेश होने के लिए नोटिस जारी किया है।
आइए जानते हैं कि यासिन मलिक कौन हैं और उनसे जुड़ा ये पूरा मामला क्या है।
परिचय
कौन हैं यासीन मलिक?
मलिक ने 1980 के दशक में कथित तौर पर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) स्थित आतंकवादी ठिकानों में ट्रेनिंग प्राप्त की थी और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) ने कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए JKLF के साथ सांठगांठ की थी।
बाद में वह हिंसा छोड़कर अलगाववादी बन गए थे और तभी से घाटी की राजनीति में सक्रिय हैं।
उन्होंने अपने शुरुआती दिनों में क्रांतिकारी मोर्चे ताला पार्टी का भी गठन किया था, जिसका उद्देश्य घाटी में अशांति पैदा करना था।
गिरफ्तारी
1999 में पहली बार गिरफ्तार हुए थे मलिक
सुरक्षा एजेंसियों ने पहली बार अक्टूबर, 1999 में मलिक को जम्मू-कश्मीर के सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत गिरफ्तार किया था, जिसके कुछ समय बाद उन्हें जमानत मिल गई थी।
मलिक को मार्च, 2002 में भारतीय आतंकवाद निवारण अधिनियम (POTA) के तहत दोबारा गिरफ्तार किया गया था और करीब एक साल तक हिरासत में रखा गया था।
उन पर कई अन्य मामलों में भी आरोप तय किए गए हैं, जिन पर सुनवाई लंबित है।
केस
क्या है आतंकी फंडिंग का मामला?
NIA ने आतंकी फंडिंग के एक मामले की जांच करते हुए मलिक को 2019 में गिरफ्तार किया था।
तब NIA ने कहा था कि मलिक समेत अन्य कश्मीरी अलगाववादियों को पाकिस्तान में पोषित आतंकवादी संगठनों से बड़ी मात्रा में धन प्राप्त हुआ था। उन्हें लश्कर-ए-तैयबा के हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन के सैयद सलाहुद्दीन से भी धन मिला था।
आरोप है कि इस धन का इस्तेमाल घाटी में पथराव, आगजनी, उपद्रव और विरोध-प्रदर्शनों का आयोजन करने के लिए किया गया।
आरोप
मलिक पर कौन-सी धाराएं लगी थीं?
NIA ने आतंकी फंडिंग के इस मामले में मलिक के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) की धारा 16 (आतंकवादी गतिविधियां), धारा 17 (आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाना), धारा 18 (आतंकवादी गतिविधियों की साजिश रचना) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120-B (आपराधिक साजिश) और 124-A (राजद्रोह) लगाई गई थीं।
कोर्ट ने मलिक को इन्हीं आरोपों में दोषी ठहराते हुए सजा का ऐलान किया था।
सजा
मलिक को किस धारा में कितनी सजा मिली थी?
NIA की एक कोर्ट ने पिछले साल मलिक को UAPA की धारा 17 (आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाने) और भारतीय दंड सहिंता (IPC) की धारा 121-A (राजद्रोह) के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
मलिक को धारा 120-B के तहत 10 साल की सजा और UAPA की धारा 13 और 38-39 में 5-5 साल की सजा सुनाई गई थी।
उन पर करीब 10 लाख रुपये का आर्थिक जुर्माना भी लगाया गया था।
कारण
मलिक को क्यों नहीं दी गई थी फांसी की सजा?
NIA कोर्ट ने कहा था कि मलिक भारत से जम्मू-कश्मीर को बलपूर्वक अलग करना चाहते थे।
कोर्ट ने यह भी माना था कि मलिक ने विदेशी ताकतों और आतंकवादियों की सहायता से घाटी में अपराधों को अंजाम दिया था।
कोर्ट ने कहा था कि मलिक ने यह सब कुछ कथित शांतिपूर्ण राजनीतिक आंदोलन की आड़ में किया था, लेकिन यह अपराध दुर्लभतम श्रेणी में नहीं होने के कारण फांसी की सजा नहीं दी जा सकती है।
जानकारी
NIA क्यों कर रही फांसी की मांग?
NIA का कहना है कि यासीन को उम्रकैद की सजा देने से यह संदेश जाएगा कि अगर आप देश के खिलाफ संगीन गुनाह करके उसे कबूल लेते हैं तो फांसी से बच सकते हैं, इसलिए यासीन की सजा को फांसी में बदला जाना चाहिए।
मांग
जम्मू-कश्मीर के नेताओं का मामले पर क्या कहना है?
जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों के कई नेताओं ने मलिक की सजा पर पुनर्विचार की मांग की है।
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि भारत जैसे लोकतंत्र में जहां एक प्रधानमंत्री के हत्यारों को भी माफ कर दिया गया तो यासीन मलिक जैसे राजनीतिक कैदी के मामले की भी समीक्षा की जानी चाहिए।
नेशनल कॉन्फ्रेंस की प्रवक्ता सारा हयात शाह ने भी कहा कि मलिक को फांसी मिलने से किसी को भी कोई फायदा नहीं होगा।
आरोप
मलिक पर और किन मामलों में हैं आरोप?
मलिक और अन्य 6 लोगों पर श्रीनगर के रावलपुरा में 25 जनवरी, 1990 को भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना समेत 4 जवानों की गोली मारकर हत्या करने का आरोप है।
मलिक पर 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण में शामिल होने का भी आरोप है। रुबैया की रिहाई के बदले 4 आतंकवादियों को रिहा किया गया था।