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    #NewsBytesExplainer: क्यों 'स्टारडम' के तले दब जाती है बॉलीवुड लेखकों की पहचान?
    क्यों बॉलीवुड लेखकों को नहीं मिला स्टारडम?

    #NewsBytesExplainer: क्यों 'स्टारडम' के तले दब जाती है बॉलीवुड लेखकों की पहचान?

    लेखन आकांक्षा शर्मा
    May 27, 2023
    09:13 pm

    क्या है खबर?

    '70 मिनट... 70 मिनट हैं, तुम्हारे पास। शायद तुम्हारी जिंदगी के सबसे खास 70 मिनट...।' यकीनन ये लाइन पढ़ते हुए आपके दिमाग में शाहरुख खान की आवाज चल रही होगी। अधिकतर लोगों को मालूम होगा कि यह फिल्म 'चक दे इंडिया' का डायलॉग है।

    क्या आप बता पाएंगे कि फिल्म को यादगार बनाने वाले इस डायलॉग को लिखा किसने है?

    बॉलीवुड के लेखकों को हमेशा से ही कम लाइमलाइट मिली है। आज बात करते हैं बॉलीवुड लेखकों की।

    सलीम-जावेद

    सलीम-जावेद को मिला सम्मान

    सलीम-जावेद शायद एकमात्र ऐसी लेखक जोड़ी है, जिसे बॉलीवुड में खूब सम्मान मिला।

    सलीम खान और जावेद अख्तर ने मिलकर 70-80 के दशक में एक से बढ़कर एक फिल्में दीं। उनकी फिल्मों ने अमिताभ बच्चन को सुपरस्टार बनाया।

    इस जोड़ी ने 'डॉन', 'दीवार', 'जंजीर' जैसी फिल्में लिखीं, जिनके बिना बॉलीवुड अधूरा है।

    भले ही सलीम-जावेद बॉलीवुड के स्टार लेखक रहे हैं, लेकिन उनका स्टारडम अमिताभ, धर्मेंद्र जैसे सितारों से कहीं फीका है।

    प्रमोशन 

    निर्माता, मीडिया, सबका ध्यान 'सितारों' पर

    लेखकों के अंडररेटेड होने की वजह है फिल्म निर्माताओं का सारा ध्यान सितारों पर होना।

    बॉलीवुड हमेशा से अपने ग्लैमर, गाने और डांस के लिए जाना जाता रहा है। ऐसे में निर्माताओं से लेकर दर्शकों तक का ध्यान सिर्फ पर्दे पर दिखने वाले चेहरों पर होता है।

    न ही फिल्म निर्माता प्रमोशनल कार्यक्रमों में लेखकों को ज्यादा शामिल करते हैं, न ही मीडिया उन्हें तवज्जो देता है। ऐसे में दर्शक उन्हें कैसे जान पाएंगे?

    लेखन

    निर्देशन और अभिनय के तले दब गया लेखन

    बॉलीवुड के कई लेखक बतौर निर्देशक अपनी पहचान बना चुके हैं। मीडिया भी उनसे फिल्म और फिल्म निर्देशन पर ही बात करती है। ऐसे में लेखक के काम पर बात यहां भी पीछे रह जाती है।

    इम्तियाज अली 'तमाशा', 'रॉकस्टार', 'जब वी मेट' जैसी बेहतरीन फिल्में लिख चुके हैं, लेकिन उनकी पहचान निर्देशक के रूप में हैं।

    फरहान अख्तर अपनी स्क्रिप्ट से ज्यादा, बतौर अभिनेता लोकप्रिय हैं। यही बात पीयूष मिश्रा जैसे लेखक के साथ भी है।

    महिला लेखक

    महिला लेखकों ने गढ़े शानदार किरदार

    बॉलीवुड में महिला लेखकों की पहचान तो और 2 कदम पीछे है।

    जब स्क्रिप्ट और कहानी के क्षेत्र में महिलाएं शामिल हुईं तो पर्दे पर किरदारों में बदलाव साफ नजर आने लगा। महिला लेखकों ने खुद को महिला प्रधान फिल्मों के खांचे में नहीं रखा।

    रीमा कागटी ने 'गोल्ड' और 'गली बॉय' जैसी फिल्में लिखीं। जूही चतुर्वेदी ने 'अक्टूबर', 'विकी डोनर' और 'पीकू' जैसी फिल्में लिखीं। अलंकृता श्रीवास्तव, अन्विता दत्त जैसे नाम भी प्रमुख हैं।

    अंडररेटेड लेखक

    ये भी रहे अंडररेटेड

    बॉलीवुड में 1-2 नहीं, बल्कि ऐसे कई लेखक हैं जिनकी फिल्मों को तो खूब सराहा गया, लेकिन शायद ही लोगों ने इन फिल्मों को लिखने वालों के बारे में जानना चाहा।

    हिमांशु शर्मा ने 'तनु वेड्स मनु' फ्रैंचाइज, 'रांझणा' जैसी बेहतीन फिल्में लिखी हैं।

    शरत कटारिया ने 'दम लगा के हइशा' लिखी थी, जिसके लिए आयुष्मान खुराना को खूब सराहा गया था।

    रितेश शाह, 'पिंक', 'कहानी' और 'एयरलिफ्ट' जैसी फिल्मों में दमदार डायलॉग लिख चुके हैं।

    सोशल मीडिया

    सोशल मीडिया से बदलेगी स्थिति?

    सोशल मीडिया के कारण स्थिति में थोड़ा बदलाव की उम्मीद है। अब ये लेखक अपनी पहचान के लिए फिल्मों के प्रमोशन के मोहताज नहीं हैं। पाठक इन्हें सोशल मीडिया पर फॉलो करते हैं और फिल्मों से अलग इनकी अन्य रचनाओं को भी पढ़ना पसंद करते हैं।

    लेखक भी अब आगे आकर अपनी बात कहते हैं। कई लेखक अपनी पहचान के साथ-साथ उचित मेहनताने की भी मांग कर चुके हैं।

    साहित्य से जुड़े समारोहों में वे अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं।

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