दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध के बाद भी क्यों खराब हो रही हवा की गुणवत्ता?
क्या है खबर?
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध होने और ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GREP) के लागू होने के बाद भी हवा जहरीली हो रही है।
तापमान में गिरावट और पराली जलाने की घटनाओं के कारण वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 'बहुत खराब' स्तर पर पहुंच गया है। इससे लोगों का खुली हवा में सांस लेना मुश्किल हो रहा है।
इस बीच जानते हैं कि पटाखों पर प्रतिबंध और बचाव के उपायों के बाद भी हवा में जहर क्यों घुल रहा है।
प्रदूषण
दिल्ली सोमवार को रहा देश का सबसे प्रदूषित शहर
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में सोमवार (21 अक्टूबर) को 310 AQI के साथ देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा है।
इसी तरह मंगलवार (22 अक्टूबर) को यह बढ़कर 317 पर पहुंच गया। इससे लोगों की चिंता बढ़ गई है।
बता दें कि 0-50 AQI को 'अच्छा', 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 200-300 को 'खराब', 301-400 को 'बहुत खराब' तथा 401-500 के बीच को 'गंभीर' श्रेणी का माना जाता है।
जानकारी
300 से अधिक AQI पर रहता है श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा
CPCB के अनुसार, 301-400 AQI को 'बहुत खराब यानी लाल श्रेणी में रखा जाता है। इस AQI के लंबे समय तक संपर्क में रहने से सभी लोगों में श्वसन संबंधी बीमारियां पैदा हो सकती हैं। यह लोगों की मौत का कारण बन सकता है।
अनुमान
दिल्ली में अगले कुछ दिन AQI के बहुत खराब रहने की आशंका
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने प्रतिकूल जलवायु, मौसम संबंधी स्थितियों और शांत हवाओं के कारण अगले कुछ दिनों के दौरान दिल्ली के AQI के 'बहुत खराब' श्रेणी में रहने का अनुमान लगाया है।
CPCB के आंकड़ों के अनुसार, दिवाली के दिनों में राष्ट्रीय राजधानी का AQI हमेशा ही खराब रहा है। साल 2023 में यह 218, 2022 में 312, 2021 में 382, 2020 में 414, 2019 में 337, 2018 में 281, 2017 में 319 और 2016 में 431 रहा था।
प्रयास
दिल्ली हाई कोर्ट ने बरकरार रखा पटाखों पर प्रतिबंध
दिल्ली सरकार ने 9 सितंबर को पटाखों की बिक्री, खरीद, भंडारण या निर्माण पर प्रतिबंध लगाया था और 14 अक्टूबर को उसकी अधिसूचना जारी की। प्रतिबंध 1 जनवरी तक लागू रहेगा।
इसके खिलाफ दिल्ली आतिशबाजी दुकानदार संघ ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन सोमवार कोर्ट ने उसे खारिज कर प्रतिबंध को बरकार रखने का फैसला सुनाया।
कोर्ट ने कहा शहर में काफी प्रदूषण है। पटाखों की बिक्री की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
कारण
प्रयासों के बाद भी क्यों बिगड़ रही दिल्ली की हवा?
दिल्ली में हर सर्दियों में AQI चरम स्तर पर पहुंच जाता है। इसका कारण हवा की कम गति, घटता तापमान, उच्च आर्द्रता तथा संघनन के लिए सतह के रूप में कार्य करने वाले कण जिम्मेदार हैं।
विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नीति अध्ययन केंद्र (CSTEP) में वायु गुणवत्ता के क्षेत्र प्रमुख डॉ आर सुब्रमण्यन ने कहा कि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से बड़ी मात्रा में कण और गैसीय प्रदूषक निकलते हैं, जिससे दिल्ली में बहुत तेजी से प्रदूषण बढ़ता है।
हवा
दिल्ली में प्रदूषण बढ़ाने के लिए हवा की दिशा भी जिम्मेदार
विशेषज्ञों के अनुसार, जब हवा पंजाब और हरियाणा से दिल्ली की ओर बहने लगती है तो पराली जलाने से जमा हुए कण और गैसीय प्रदूषक दिल्ली की ओर बढ़ता है, जिससे राजधानी में प्रदूषण बढ़ जाता है।
15 सितंबर से 19 अक्टूबर के बीच पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान में पराली जलाने की 3,376 घटनाएं दर्ज की गई हैं।
ऐसे में इन दिनों हवा के दिल्ली की ओर से बहने से वहां की हवा खराब हो रही है।
खतरा
नवंबर में और खराब होगी दिल्ली की हवा
सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के संस्थापक गुफरान बेग के अनुसार, दिल्ली की हवा अब और खराब होने वाली है, क्योंकि नवंबर के पहले सप्ताह में पराली जलाने की चरम स्थिति आती है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि वाहनों से उत्पन्न होने वाला मुख्य प्रदूषक PM 2.5, प्रदूषण-रोधी उपायों का मुख्य लक्ष्य नहीं है, बल्कि PM 10 हैं, जो मुख्य रूप से धूल और निर्माण स्थलों से उत्पन्न होता है। यही सबसे बड़ा खतरा है।
अन्य
दिल्ली में प्रदूषण के अन्य बड़े कारण?
एनवायरो कैटालिस्ट्स के संस्थापक और प्रमुख विश्लेषक सुनील दहिया के अनुसार, दिल्ली-NCR में प्रदूषण अभी भी बिजली संयंत्रों, वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन, गाजियाबाद, सोनीपत और अन्य शहरों में उद्योग, ईंट भट्टों, ग्रामीण क्षेत्रों में बायोमास जलाने और निर्माण स्थलों के कारण हो रहा है।
उन्होंने बताया कि शहर में लगभग 20-30 प्रतिशत प्रदूषण वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन से होता है। हालांकि, बारिश होने पर प्रदूषण से राहत मिल सकती है, लेकिन इसकी संभावना कम है।
उपाय
दिल्ली में लागू की गई GREP के दूसरे चरण की पाबंदियां
दिल्ली में AQI के 300 के पार जाने के बाद मंगलवार से GREP के दूसरे चरण की पाबंदियां लागू कर दी गई है।
इसमें डीजल जनरेटर के इस्तेमाल पर रोक लगेगी, अस्पतालों, रेल और मेट्रो सेवाओं में डीजल जनरेटर चल सकेंगे और पार्किंग शुल्क बढ़ाया जाएगा।
CNG, इलेक्ट्रिक बसों और मेट्रो की सेवाओं को बढ़ाया जाएगा। 800 किलो वॉट से अधिक क्षमता वाले जनरेटर तभी चल सकेंगे, जब वह रेट्रोफिटिंग करवाएंगे। सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जाएगा।