कौन हैं भारतीय मूल की ब्रिटिश लेखिका निताशा कौल, जिन्हें भारत में प्रवेश से रोका गया?
ब्रिटेन में भारतीय मूल की प्रोफेसर निताशा कौल ने दावा किया कि उन्हें भारत में प्रवेश से वंचित किया गया और बेंगलुरु हवाई अड्डे से वापस लंदन भेज दिया गया। उन्हें कर्नाटक सरकार ने 2 दिवसीय 'संविधान और राष्ट्रीय एकता सम्मेलन' में वक्ता के रूप में आमंत्रित किया था, लेकिन हवाई अड्डे पहुंचने पर सुरक्षा अधिकारियों ने उन्हें अनुमति नहीं दी। आइए जानते हैं कि यह पूरा मामला क्या है और प्रोफेसर कौल कौन हैं।
कौन हैं निताशा कौल?
प्रोफेसर कौल लंदन में वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय में राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग में प्रोफेसर हैं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुआ था। उन्होंने दिल्ली के श्रीराम कॉलेज से स्नातक किया। 1997 में वह लंदन चली गईं। उन्होंने 2003 में ब्रिटेन के HAL विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और दर्शनशास्त्र में PhD की। उन्होंने 2007 तक ब्रिस्टल बिजनेस स्कूल में सहायक प्रोफेसर के रूप में काम किया। वह 2010 में भूटान के रॉयल थिम्पू कॉलेज में भी पढ़ा चुकी हैं।
लेखिका और कवयित्री भी हैं कौल
कौल एक उपन्यासकार, लेखिका और कवयित्री भी हैं। 2007 में उनकी पहली पुस्तक 'इमेजिनिंग इकोनॉमिक्स अदर: एनकाउंटर्स विद आइडेंटिटी/डिफरेंस' शीर्षक से प्रकाशित हुई थी। मूल रूप से कश्मीरी पंडित होने के नाते वह 2018 में 'महिलाएं और कश्मीर' पर एक विशेष आर्थिक और राजनीतिक साप्ताहिक (EPW) खंड की सह-संपादक भी थीं। उन्होंने 'कैन यू हियर कश्मीरी वीमेन स्पीक?' पुस्तक का सह-संपादन भी किया है। 2019 में 'कश्मीर और मानवाधिकार' के मुद्दे पर अमेरिकी कांग्रेस में व्याख्यान दे चुकी हैं।
मोदी सरकार और RSS के खिलाफ बयानों के लिए सुर्खियों में रही हैं कौल
प्रोफेसर कौल कश्मीर के मुद्दे पर लिखती और बोलती रही हैं। उन्होंने 2019 में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन के संबंध में विदेश मामलों की अमेरिकी संसदीय समिति के सामने बयान दर्ज करवाए थे। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की आलोचक भी रही हैं। उन्होंने कश्मीरी पंडितों पर बनी विवादित फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' की पटकथा पर भी सवाल उठाए और इसे मोदी सरकार का प्रोपेगेंडा करार दिया था।
बेंगलुरु हवाई अड्डे पर रोके जाने का मामला क्या है?
यह घटना 23 फरवरी की है। प्रोफेसर कौल का आरोप है कि केंद्र सरकार के आदेश पर सुरक्षा अधिकारियों ने उन्हें बेंगलुरु हवाई अड्डे पर रोका और वापस लंदन भेज दिया। उन्हें 24-25 फरवरी को कर्नाटक सरकार के कार्यक्रम में शामिल होना था। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर समाज कल्याण मंत्री एचजी महादेवप्पा की ओर से भेजा गया निमंत्रण पत्र भी साझा किया है। दूसरी ओर मामले में भाजपा ने सुरक्षा अधिकारियों की सराहना की है।
प्रोफेसर कौल ने क्या कहा?
प्रोफेसर कौल ने एक्स पर लिखा, 'सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि हम कुछ नहीं कर सकते क्योंकि दिल्ली (केंद्र सरकार) से आदेश आया है और इसके अलावा मुझे कोई कारण नहीं बताया गया। मेरी यात्रा और रहने खाने की व्यवस्था कर्नाटक सरकार द्वारा की गई थी और मेरे पास आधिकारिक पत्र भी था। दिल्ली से मुझे इससे पहले कोई सूचना या नोटिस नहीं दिया गया था कि मुझे प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।'
अधिकारियों ने घंटों तक की पूछताछ- कौल
कौल ने कहा कि वह शुक्रवार सुबह बेंगलुरु हवाई अड्डे पर उतरी थीं और उन्हें शनिवार सुबह अगली फ्लाइट से लंदन भेज दिया गया। इस बीच की अवधि में अधिकारियों ने उन्हें हिरासत में रखा और घंटों पूछताछ की। उनका आरोप है कि उन्हें खाना-पानी तक नहीं दिया गया और उन्हें तकिया-चादर जैसी चीजों के लिए भी काफी मशक्कत करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि वह पहले कई बार भारत चुकी हैं, लेकिन उनके साथ ऐसा दुर्व्यवहार पहली बार हुआ।
सरकार ने मामले को लेकर नहीं की कोई टिप्पणी
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की ओर से मामले में अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया गया है। कर्नाटक सरकार के मंत्री महादेवप्पा ने कहा कि वह कार्यक्रम में व्यस्त थे और उन्हें इस घटनाक्रम की जानकारी नहीं है।
भाजपा ने सिद्धारमैया सरकार पर साधा निशाना
कर्नाटक भाजपा ने एक्स पर कौल की आरोपों का जवाब देते हुए कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार पर निशाना साधा। भाजपा ने कहा कि अब यह स्पष्ट है कि कांग्रेस अपने विभाजनकारी एजेंडे के लिए जमीन तैयार करने और राष्ट्रीय एकता और अखंडता को कमजोर करने के लिए कर्नाटक को अपनी प्रयोगशाला के रूप में उपयोग कर रही है। पार्टी ने कहा कि कौल भारत विरोधी हैं और वह उन्हें रोकने के लिए सुरक्षा एजेंसियों का भी धन्यवाद करती है।