संत अमोघ लीला दास कौन हैं, जो स्वामी विवेकानंद पर टिप्पणी के कारण विवादों में हैं?
क्या है खबर?
इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISKCON) ने मंगलवार को अपने एक संत अमोघ लीला दास पर एक महीने का प्रतिबंध लगा दिया।
संस्था ने जानकारी दी कि अमोघ दास अब एक महीने तक गोवर्धन की पहाड़ियों में रहेंगे और तत्काल प्रभाव से खुद को सार्वजनिक जीवन से पूरी तरह अलग कर लेंगे। ये फैसला स्वामी विवेकानंद और राम रामकृष्ण परमहंस के खिलाफ अमोघ दास की टिप्पणी के बाद लिया गया है।
कौन
कौन हैं अमोघ लीला दास?
अमोघ लीला दास का जन्म 1 जुलाई, 1980 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था। उनके बचपन का नाम आशीष अरोड़ा है।
बताया जाता है कि 12वीं की पढ़ाई के दौरान ही उनका झुकाव आध्यात्म की ओर हो गया था और उन्होंने अपना घर छोड़ दिया था। हालांकि, बाद में वे वापस लौट आए और सॉफ्टवेयर इंजीनियर की पढ़ाई की। वे कई सालों तक अमेरिका की एक मल्टीनेशनल कंपनी में भी काम कर चुके हैं।
संन्यास
29 साल की उम्र में संन्यासी बने अमोघ दास
साल 2010 में 6 साल नौकरी करने के बाद उन्होंने संन्यासी बनने का फैसला लिया। इस वक्त उनकी उम्र 29 साल थी। इसके बाद वे ISKCON में ही रहने लगे। बाद में वे प्रवचन देने लगे और धीरे-धीरे सोशल मीडिया पर भी खूब प्रसिद्ध हुए।
सोशल मीडिया पर उनके लाखों फॉलोवर्स हैं। उनके प्रेरणादायक और भक्ति वाले वीडियो अक्सर वायरल होते रहते हैं। ऐसी ही एक वीडियो में उन्होंने स्वामी विवेकानंद को लेकर टिप्पणी की थी।
मामला
स्वामी विवेकानंद के खिलाफ क्या टिप्पणी की थी?
दरअसल, अमोघ दास ने स्वामी विवेकानंद और उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस को लेकर विवादित टिप्पणी की थी।
उन्होंने कहा था, "अगर स्वामी विवेकानंद मछली खाएं तो क्या वो एक सिद्ध पुरूष हैं? कभी कोई सिद्ध पुरुष मछली नहीं खाएगा क्योंकि मछली को भी दर्द होता है। सिद्ध पुरुष के दिल में करूणा होती है।"
अमोघ दास ने यही बात रामकृष्ण परमहंस को लेकर भी कही थी। इसी के बाद से वे विवादों में घिर गए हैं।
iskcon
मामले पर ISKCON का क्या कहना है?
ISKCON ने इस संबंध में एक बयान जारी कर कहा, "अमोघ लीला दास के बयान से हम काफी आहत हुए हैं। उनका बयान अनुचित है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। यह इन दो व्यक्तित्वों की महान शिक्षाओं के बारे में उनकी समझ की कमी को दर्शाता है, इसलिए उन्हें एक महीने के लिए ISKCON से प्रतिबंधित किया जाता है। अमोघ दास ने प्रायश्चित के लिए एक महीने के लिए गोवर्धन पर्वत पर जाने का संकल्प लिया है।"