#NewsBytesExplainer: इजरायल-फिलिस्तीन पर क्या रही है भारत की नीति और दोनों से कैसे हैं संबंध?
इजरायल और फिलिस्तीन के आतंकवादी संगठन हमास के बीच पिछले कई दिनों से युद्ध चल रहा है। अब तक इसमें करीब 2,500 लोग मारे गए हैं और 8,900 लोग घायल हुए हैं। इस बीच भारत ने इजरायल पर हमास के हमले की निंदा की है। भारत ने कहा कि वो इजरायल के साथ खड़ा है। आइए समझते हैं कि भारत के इजरायल और फिलिस्तीन के साथ कैसे संबंध रहे हैं।
वर्तमान संघर्ष पर क्या है भारत का रुख?
हालिया संघर्ष पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इजरायल का समर्थन किया है। उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा था, 'इजरायल में आतंकवादी हमलों की खबर से पूरी तरह स्तब्ध हूं। हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं। हम इस कठिन समय में इजरायल के साथ एकजुटता से खड़े हैं।' इसके बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बात भी की थी।
शुरुआत में कैसे रहे भारत-इजरायल के संबंध?
साल 1948 में इजरायल ने खुद को स्वतंत्र देश घोषित किया था। हालांकि, तब भारत ने इसे मान्यता नहीं दी थी। भारत ने 2 साल बाद यानी 1950 में इजरायल को मान्यता तो दी, लेकिन किसी भी तरह के कूटनीतिक या राजनयिक संबंध स्थापित नहीं किए। 1953 में भारत ने इजरायल को मुंबई में एक वाणिज्य दूतावास खोलने की अनुमति दी थी। 42 साल बाद यानी 1992 में भारत ने इजरायल के साथ अपने राजनयिक संबंध स्थापित किए।
भारत-इजरायल के बीच कैसा है व्यापार?
भारत और इजरायल के बीच बड़े पैमाने पर व्यापार होता है। भारत एशिया में इजरायल का तीसरा और वैश्विक स्तर पर 7वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। पिछले वित्त वर्ष में दोनों देशों के बीच 62,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का व्यापार हुआ था। इजरायल से भारत बड़े पैमाने पर हथियार भी खरीदता है। दोनों देशों के बीच मुख्यत: कीमती पत्थर, धातुएं, रासायनिक उत्पाद, कपड़ा, मशीनरी और रसायन जैसी चीजों का व्यापार होता है।
फिलिस्तीन के साथ कैसे रहे भारत के शुरुआती संबंध?
शुरुआत से ही भारत का रुख फिलिस्तीन के पक्ष में रहा है। 1947 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन के विभाजन के खिलाफ मतदान किया था। जब फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (PLO) बना तो 1974 में भारत इसे मान्यता देने वाला पहला गैर-अरब देश था। 1988 में भारत फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था। PLO के नेता यासिर अराफात कई बार भारत आए और इंदिरा गांधी से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी से मिले।
फिलिस्तीन के साथ कैसे हैं भारत के व्यापारिक संबंध?
2020 में भारत और फिलिस्तीन के बीच 555 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ था। भारत ने फिलिस्तीन को 550 करोड़ रुपये का निर्यात किया और 4.9 करोड़ रुपये की वस्तुएं आयात कीं। भारत फिलिस्तीन को संगमरमर, प्लास्टर, सीमेंट, बासमती चावल, वनस्पति उत्पाद और मेडिकल उपकरण निर्यात करता है, वहीं खजूर, जैतून का तेल, धातु की वस्तुएं फिलिस्तीन से आयात करता है। भारत ने फिलिस्तीन के वेस्ट बैंक में 2 स्कूल भी बनवाए हैं।
फिलिस्तीन को लेकर भारत की नीति क्या है?
फिलिस्तीन भारत की विदेश नीति का अहम हिस्सा रहा है। फिलिस्तीन से भारत का कोई सीधा फायदा नहीं है, लेकिन ये अरब देशों और भारत के बीच एक कड़ी की तरह है। भारत अरब देशों से पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है तो दूसरी ओर लाखों भारतीय खाड़ी देशों में काम करते हैं। भारत ने हमास के आतंकी हमलों का विरोध किया है, जो दर्शाता है कि भारत आतंक को लेकर अपनी नीतियों में बिल्कुल स्पष्ट है।
इजरायल को लेकर क्या है भारत की नीति?
भारत के इजरायल से संबंध बेहतर हुए हैं, लेकिन आज तक भारत ने इजरायल की विस्तारवादी नीतियों का समर्थन नहीं किया है। इसके पीछे एक वजह बताई जाती है कि अगर भारत वेस्ट बैंक पर इजरायल के कब्जे का समर्थन करता है तो इससे पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) और अक्साई चीन पर क्रमश: पाकिस्तान और चीन दावा कर सकते हैं। भारत इजरायल के साथ कूटनीति बरकरार रखते हुए चीन-पाकिस्तान को साधने की भी कोशिश करता है।