
कोरोना वायरस: कंटेनमेंट जोन क्या होते हैं और इन्हें कैसे निर्धारित किया जाता है?
क्या है खबर?
कोरोना वायरस (COVID-19) के इस दौर में संक्रमण को कम करने के लिए लोगों का आपसी संपर्क कम करने पर जोर दिया जा रहा है।
इसी उद्देश्य से लॉकडाउन लगाया गया था ताकि लोग घर से बाहर न निकलें और दूसरों से मुलाकात न करें।
अब लॉकडाउन हट गया है, लेकिन संक्रमण को रोकने के लिए कंटेनमेंट जोन बनाए जा रहे है और कोरोना वायरस का प्रकोप रहने तक ये जारी रहेंगे।
आइये, इनसे जुड़ी कुछ जरूरी बातें जानते हैं।
कंटेनमेंट जोन
क्या होता है कंटेनमेंट जोन?
जब किसी गली, कॉलोनी, इलाके या हाउसिंग सोसायटी में कोई व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित पाया जाता है तो उसे सील कर दिया जाता है।
इन जगहों पर लोगों को आवाजाही की इजाजत नहीं होती और वहां पर कंटेनमेंट जोन बनाकर कड़े प्रतिबंध लागू किए जाते हैं।
जिस इलाके का निर्धारण कंटेनमेंट जोन के तौर पर किया जाता है उसके प्रवेश और निकास स्थानों पर बैरिकेडिंग की जाती है और वहां केवल आवश्यक सेवाओं की अनुमति होती है।
क्या आप जानते हैं?
कंटेनमेंट जोन का निर्धारण कौन करता है?
जिला प्रशासन या पंचायत संस्थाएं कंटेनमेंट जोन का निर्धारण करती है। किसी कंटेनमेंट जोन में कितना इलाका आएगा, वहां पर किन सेवाओं की अनुमति होगी, यह प्रशासन या संबंधित संस्थाओं पर निर्भर करता है।
निर्धारण
कंटेनमेंट जोन का निर्धारण कैसे होता है?
देश में जैसे-जैसे कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती गई, कंटेनमेंट जोन उतने छोटे होते गए।
पहले जहां मामला मिलने के बाद पूरे इलाके को कंटेनमेंट जोन बना दिया जाता था, अब यह केवल बिल्डिंग और फ्लोर तक आ गया है।
दिल्ली में अगर एक किलोमीटर के दायरे में तीन संक्रमित पाए जाते हैं तो उसे कंटेनमेंट जोन घोषित किया जाएगा।
गुरूग्राम में पांच संक्रमित मिलने पर कंटेनमेंट जोन बनता है। वहीं नोएडा में अलग नियम है।
क्या आप जानते हैं?
कितने दिन तक रहता है कंटेनमेंट जोन
अलग-अलग शहरों में इसे लेकर अलग नियम है। कुछ शहरों में 28 दिनों तक कोई नया मामला न मिलने पर कंटेनमेंट जोन हटाया जाता है तो कई शहरों में यह 14 और सात दिनों तक रहता है।
नियम
अलग-अलग शहरों में इसे लेकर क्या नियम हैं?
मुंबई में पहले पूरे इलाके को कंटेनमेंट जोन बनाया जाता था, लेकिन अब कंटेनमेंट जोन का दायरा छोटा हो गया है। अब पूरी बिल्डिंग या सिर्फ फ्लोर को कंटेनमेंट जोन बनाया जा रहा है। यहां फिलहाल 755 कंटेनमेंट जोन और 6,174 सील्ड बिल्डिंग हैं।
लखनऊ में अगर बहुमंजिला इमारत में कोई संक्रमित पाया जाता है तो फ्लोर और ज्यादा मामले पर पूरी इमारत सील की जाती है। बाकी घरों के लिए 25 मीटर का दायरा कंटेनमेंट जोन बनाया जाता है।
कंटेनमेंट जोन
अहमदाबाद और गोवा में क्या नियम?
अहमदाबाद- कोरोना वायरस से सबसे बुरी तरह प्रभावित शहरों में शामिल अहमबाद में किसी के संक्रमित मिलने पर एक पूरी इमारत और लाइन में बने पांच घरों को कंटेनमेंट जोन बनाया जाता है। इसका दायरा आमतौर पर 50-100 मीटर होता है।
गोवा- इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, गोवा में एक साथ कई मामले सामने आने के बाद ही उस इलाके को कंटेनमेंट जोन बनाया जाता है। फिलहाल 12 कंटेनमेंट और माइक्रो कंटेनमेंट जोन हैं।
नियम
केरल में कैसे होता है कंटेनमेंट जोन का निर्धारण
अगर राज्यों की बात करें तो केरल में होम क्वारंटाइन रह रहे लोगों के संक्रमित मिलने और अगर किसी में संक्रमण का स्त्रोत पता नहीं चलता है तो उनके रिहायशी इलाकों और काम के स्थान को कंटेनमेंट जोन बनाया जाता है।
शहरों में किसी के संक्रमित मिलने पर गली या कॉलोनी और गांवों में एक वार्ड को कंटेनमेंट जोन घोषित किया जाता है।
हर एक सप्ताह बाद सभी कंटेनमेंट जोन की समीक्षा की जाती है।
कंटेनमेंट जोन
हरियाणा और पंजाब में हैं ये नियम
पंजाब में अगर किसी इलाके में 15 से ज्यादा लोग संक्रमित पाए जाते हैं तो उसे कंटेनमेंट जोन बनाया जाता है।
वहीं अगर किसी इलाके में 5-15 के बीच मामले सामने आते हैं तो उसे माइक्रो-कंटेनमेंट जोन घोषित किया जाता है।
हरियाणा में अगर कोई व्यक्ति संक्रमित पाया जाता है तो उसके आसपास के घरों को कंटेनमेंट जोन में रखा जाएगा। अगर ज्यादा मामले आते हैं तो कंटेनमेंट जोन का दायरा बढ़ा दिया जाता है।