
वक्फ विधेयक पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, केंद्र ने कहा- ये इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं
क्या है खबर?
वक्फ (संशोधन) कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज लगातार दूसरे दिन सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि सरकारी जमीन पर किसी भी आधार पर किसी को कोई अधिकार नहीं दिया जा सकता।
सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा कि वक्फ एक इस्लामी विचार है, लेकिन यह इस्लाम का मूल या अनिवार्य हिस्सा नहीं है।
सरकार
सरकार ने कहा- वक्फ को मौलिक अधिकार नहीं माना जा सकता
मेहता ने कहा, "वक्फ एक इस्लामिक अवधारणा है, इस पर कोई विवाद नहीं है, लेकिन जब तक यह नहीं दिखाया जाता कि वक्फ इस्लाम का एक अनिवार्य हिस्सा है, तब तक बाकी सभी तर्क बेकार हैं। यह केवल इस्लाम में दान देने की व्यवस्था है। जब तक यह साबित नहीं हो जाता कि वक्फ इस्लाम का एक जरूरी हिस्सा है, तब तक इस पर कोई दावा नहीं किया जा सकता।"
दलील
वक्फ-बाय-यूजर संपत्ति पर भी स्थायी अधिकार नहीं हो सकता- सरकार
मेहता ने कहा कि अगर कोई संपत्ति सरकारी हो और उसे वक्फ-बाय-यूजर के तहत घोषित किया गया हो तो भी सरकार उसे वापस लेने का कानूनी अधिकार रखती है।
उन्होंने दलील दी, "वक्फ बाय यूजर का प्रावधान अब नए कानून में हटा दिया गया है। किसी को भी सरकारी जमीन पर स्थायी अधिकार नहीं मिल सकता है। सरकार ऐसी जमीन को दोबारा हासिल कर सकती है, चाहे वह वक्फ घोषित कर दी गई हो।"
तुलना
मेहता ने कहा- धार्मिक संस्थाओं से वक्फ की तुलना गलत
मेहता ने कहा, "हिंदुओं या ईसाइयों से जुड़े धार्मिक स्थलों के ट्रस्ट व बंदोबस्ती से वक्फ की तुलना सैद्धांतिक रूप से गलत है। जब हिंदू कोड बिल आया तो व्यक्तिगत अधिकार छीन लिए गए, कोई तर्क नहीं दिया गया, क्योंकि मुसलमानों पर उनके शरिया अधिनियम के तहत शासन किया जाता था। हिंदू धार्मिक बंदोबस्ती अधिनियम सिर्फ धार्मिक कार्यों तक सीमित है, जबकि वक्फ के धार्मिक गतिविधियों तक सीमित नहीं है। वक्फ अन्य गतिविधियों में भी शामिल होता है।"
मुस्लिम पक्ष
कपिल सिब्बल बोले- वक्फ एक कौम की आत्मा
याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने कहा, "वक्फ कोई तकनीकी मामला नहीं है, बल्कि यह एक कौम की आत्मा है। इस आत्मा की सुरक्षा की जिम्मेदारी संविधान करता है न कि जिले का कोई कलेक्टर। अगर मुतवल्ली की रजामंदी के बिना वक्फ का पंजीकरण किया गया तो उस जायदाद का धार्मिक चरित्र ही बदल जाएगा। 100 साल से कब्रिस्तान है, पर कागज नहीं है तो क्या मुर्दों की हैसियत अब कलेक्टर तय करेगा?"
कानून
वक्फ विधेयक को लेकर कब-क्या हुआ?
वक्फ विधेयक 3 अप्रैल को भारी हंगामे के बीच लोकसभा और 4 अप्रैल को राज्यसभा से पारित हुआ था।
इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को विधेयक को मंजूरी दे दी और 8 अप्रैल को सरकार ने इसे लागू कर दिया।
राजनीतिक पार्टियों और मुस्लिम संगठनों समेत कई लोगों ने इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिस पर मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ सुनवाई कर रही है।