उत्तराखंड सरकार ने UCC पारित करने के लिए 5 फरवरी को सत्र बुलाया, जानें क्या-क्या प्रावधान
क्या है खबर?
उत्तराखंड सरकार समान नागरिक संहिता (UCC) पारित करने की तैयारी में है। उसने UCC विधेयक पर चर्चा और इसे पारित करने के लिए 5 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा का एकदिवसीय विशेष सत्र बुलाया है।
बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने UCC का मसौदा तैयार करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। इस समिति की रिपोर्ट और मसौदे पर ही सत्र में चर्चा होगी और इसके बाद विधेयक को पारित किया जाएगा।
अधिसूचना
विधानसभा सचिवालय ने जारी की विशेष सत्र की अधिसूचना
उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय ने शुक्रवार को अधिसूचना जारी कर विशेष सत्र की जानकारी दी। अधिसूचना के अनुसार, 5 फरवरी को देहरादून स्थित विधानसभा भवन में सुबह 11 बजे से सत्र बुलाया गया है।
इससे पहले पिछला सत्र 8 सितंबर को अनिश्चितकाल के लिए सत्र स्थगित कर दिया गया था। यह सत्र 5 सितंबर को शुरू हुआ था। सत्र के तीसरे दिन सरकार ने 11 विधेयक ध्वनिमत से पारित कराए थे।
रिपोर्ट
विशेषज्ञ समिति कब सौंप सकती है अपनी रिपोर्ट?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने कहा कि मई, 2022 में राज्य सरकार द्वारा गठित सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अगुवाई वाली 5 सदस्यीय समिति 2 या 3 फरवरी को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप सकती है।
इस रिपोर्ट में लैंगिक समानता और पैतृक संपत्तियों में बेटियों के लिए समान अधिकार पर जोर दिया गया है।
इसके अलावा इसमें महिलाओं के लिए शादी की उम्र 18 साल बरकरार रखने की सिफारिश की गई है।
कारण
अनुवाद के कारण विधेयक पेश करने में हुई देरी
राज्य सरकार ने बताया कि मसौदा तैयार है, लेकिन यह अंग्रेजी में है। चूंकि उत्तराखंड में सभी विधायी कार्य हिंदी में होते हैं, इसलिए समिति के 3 सदस्य, सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़, पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह और दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल, को इसका हिंदी अनुवाद करने को कहा गया है।
सूत्र ने कहा, "मौलिकता बनाए रखने के लिए समिति के सदस्यों को रिपोर्ट और मसौदे का हिंदी में अनुवाद करने के लिए कहा गया था।"
प्रावधान
उत्तराखंड के UCC विधेयक में क्या प्रावधान हो सकते हैं?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, UCC के मसौदे में बहुविवाह पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की सिफारिश है। इसके तहत पुरुषों को बिना तलाक लिए 2 पत्नियां रखने की अनुमति नहीं होगी।
बच्चों को गोद लेने और तलाक के लिए सभी धर्मों में समान नियम प्रस्तावित हैं।
लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों को भी पंजीयन करवाना अनिवार्य होगा।
प्रस्तावित कानून में विवाह के किसी धार्मिक रीति-रिवाज से कोई छेड़छाड़ नहीं है।
इसमें जनसंख्या नियंत्रण के लिए 'मजबूत मांगें' भी हैं।
अन्य राज्य
उत्तराखंड के बाद गुजरात और असम में भी UCC?
सूत्रों ने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा द्वारा UCC पारित किये जाने के बाद भाजपा शासित राज्य गुजरात और असम में भी इसे पारित करने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
सूत्र ने कहा, "इसी तरह के मसौदे पर गुजरात और असम दोनों विधानसभाओं द्वारा चर्चा होगी और इसे पारित किया जाएगा।"
अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो अगले कुछ महीनों में लोकसभा चुनाव से पहले 3 राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू हो जाएगी।