अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावे का अमेरिका ने किया विरोध, बोला- यह भारत का हिस्सा
अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावे को लेकर भारत को अमेरिका का साथ मिला है। एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि अमेरिका अरुणाचल प्रदेश को भारतीय क्षेत्र के रूप में मान्यता देता है और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पार क्षेत्रीय दावों को आगे बढ़ाने के किसी भी प्रयास का कड़ा विरोध करता है। अमेरिका का ये बयान ऐसे वक्त आया है, जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा किया है।
अरुणाचल प्रदेश भारतीय क्षेत्र- अमेरिका
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा, "अमेरिका अरुणाचल प्रदेश को भारतीय क्षेत्र के रूप में मान्यता देता है और हम वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य या असैन्य घुसपैठ या अतिक्रमण के माध्यम से क्षेत्रीय दावे करने के किसी भी एकतरफा प्रयास का कड़ा विरोध करते हैं।'' अमेरिका पहले भी अरुणाचल को भारत का हिस्सा बता चुका है और चीन के साथ सीमा विवाद में उसका समर्थन करता है।
अरुणाचल को लेकर क्या बोला था चीन?
हाल ही में चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल झांग जियाओगांग ने कहा था, "बीजिंग ने भारत द्वारा अवैध रूप से स्थापित तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को कभी स्वीकार नहीं किया और इसका दृढ़ता से विरोध करता है। चीन भारत से विवादों का शांतिपूर्वक हल चाहता है। ऐसे में भारत सीमा मुद्दों को जटिल बनाने वाली कार्रवाई बंद करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रभावी ढंग से शांति और स्थिरता बनाए रखे।" चीन अरुणाचल को 'जंगनान' नाम से पुकारता है।
भारत ने चीन के दावे को बताया था बेतुका
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने चीन के दावे को 'बेतुका' बताया था। उन्होंने कहा था, "हमने चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता द्वारा अरुणाचल प्रदेश पर बेतुके दावों को आगे बढ़ाते हुए की गई टिप्पणियों पर ध्यान दिया है। इस संबंध में आधारहीन तर्क दोहराने से ऐसे दावों को वैधता नहीं मिलती है। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा। इसके लोग हमारे विकास कार्यक्रमों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से लाभांवित होते रहेंगे।"
चीन ने प्रधानमंत्री मोदी के अरुणाचल दौरे का भी किया था विरोध
इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया था। उन्होंने 825 करोड़ रुपये की लागत से बनी दुनिया की सबसे लंबी बाइलेन सुरंग सेला का उद्घाटन किया था, जो तवांग और LAC से सटे इलाकों तक पहुंच को आसान बनाती है। इससे असम के तेजपुर और तवांग में सेना के कोर मुख्यालय के बीच की दूरी भी एक घंटे कम हो जाएगी। चीन ने प्रधानमंत्री की यात्रा का भी विरोध किया था।
अरुणाचल पर दावा क्यों करता है चीन?
चीन अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का हिस्सा मानता है और इस पर अपना दावा ठोकते हुए इसे दक्षिणी तिब्बत कहता है। चीन अरुणाचल के लगभग 90,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अपना बताता है। दूसरी तरफ भारत का कहना है कि अरुणाचल उसका अभिन्न अंग है और इस पर भारत की संप्रभुता को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली हुई है। इसके अलावा चीन ने भारत के अक्साई चिन की करीब 38,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर भी अवैध कब्जा कर रखा है।