अपने भाई-बहनों को खोने वाले युवाओं में हृदय रोग का खतरा अधिक, अध्ययन में खुलासा
क्या है खबर?
एक नए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि जो लोग बचपन या बड़े होने के दौरान अपने भाई-बहन को खो देते हैं, उनमें कम उम्र में ही हृदय रोग होने का जोखिम ज्यादा होता है।
यह अध्ययन चीन के शंघाई में फुडन विश्वविद्यालय और हांगकांग के चीनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया है।
इसके लिए उन्होंने डेनमार्क में 20 लाख से ज्यादा लोगों का मूल्यांकन किया, जिनका जन्म साल 1978 और 2018 के बीच हुआ था।
अध्ययन
11 साल की उम्र में भाई-बहन को खोने वाले लोगों पर हुआ अध्ययन
यह अध्ययन 8 जनवरी को JAMA नेटवर्क ओपन में प्रकाशित हुआ है।
इसमें बताया गया कि जिन लोगों ने अपने भाई-बहन को खोया है, उनकी मृत्यु के समय की आयु औसत 11 साल थी।
इन लोगों में भाई-बहन की मृत्यु के कारण हृदय रोग का जोखिम 17 प्रतिशत अधिक है यानी कि बड़े भाई-बहन की तुलना में इनमें हृदय से जुड़ी समस्याएं ज्यादा हो सकती है।
ऐसे में बचाव के लिए उन्हें ज्यादा ध्यान और समर्थन की जरूरत होती है।
बयान
भाई-बहन की मृत्यु का अनुभव स्वास्थ्य पर डालता है नकारात्मक प्रभाव
इस अध्ययन में चिल्ड्रेन हॉस्पिटल लॉस एंजिल्स में नेशनल सेंटर फॉर स्कूल क्राइसिस एंड बेरेवमेंट के निदेशक डेविड शॉनफेल्ड ने प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने कहा, "बचपन में होने वाले इस तरह के अनुभव वयस्कता के दौरान शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं। हालांकि, यह चचेरे या ममेरे भाई-बहन की मृत्यु पर किया गया शोध है न कि परिवार के किसी करीबी सदस्य पर। इसके बावजूद यह बच्चों के लिए तनावपूर्ण अनुभव है, इसलिए इससे उन पर नकारात्मक प्रभाव होता है।"
बयान
शारीरिक के साथ-साथ हो सकती हैं भावनात्मक समस्याएं
इस अध्ययन में डेविड के अलावा फ्लोरिडा के डेलरे मेडिकल सेंटर के हृदय रोग विशेषज्ञ जोनाथन काहन ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी हैं।
उन्होंने कहा, "भाई-बहन को खोने जैसी दर्दनाक घटना जीवित लोगों में व्यस्कता के समय कई नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इससे क्रोनिक तनाव और सरवाइवर सिंड्रोम जैसे कई भावनात्मक या शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं, जो सीधे हृदय रोग से जुड़ी होती हैं।"
जानकारी
काहन ने अन्य डॉक्टरों को दी यह सलाह
काहन ने हृदय संबंधी पेशेवरों को हृदय रोग की समस्याएं होने के कारण के पुराने चरण जैसे शोक और तनाव पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भी प्रोत्साहित किया है।
उन्होंने कहा, "हम अक्सर जांच के दौरान मरीज से पारिवारिक इतिहास पूंछते हैं, लेकिन अब इस अध्ययन के बाद मैं देखूंगा कि अगर किसी मरीज के भाई-बहन की मृत्यु का पुराना इतिहास है तो क्या उस पर इसका प्रभाव अभी भी है या नहीं।"